- शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत ने यह दावा किया है कि राज ठाकरे महाविकास अघाड़ी में शामिल होना चाहते हैं.
- आज महाराष्ट्र में बड़ी राजनीतिक हलचल है. एक ओर मनसे की बैठक तो दूसरी तरफ कांग्रेस, एनसीपी की बैठकें भी हो रही.
- राज 2005 में शिवसेना से अलग हुए. 2006 में मनसे बनाई. 20 साल बाद जुलाई में उद्धव के साथ रैली में मंच साझा किए.
शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने यह दावा किया है कि राज ठाकरे महाविकास अघाड़ी में शामिल होना चाहते हैं. राज ठाकरे ने सोमवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) नेताओं की एक बैठक बुलाई है. यह बैठक उनके बंगले शिवतार्थ पर हो रही है. यह बैठक आने वाले बीएमसी (बृह्नमुंबई महानगरपालिका) के चुनावों और संगठनात्मक मुद्दों के सिलसिले में बुलाई गई है. हालांकि पिछले कुछ दिनों के दौरान दोनों ठाकरे भाइयों की मुलाकातें बढ़ी हैं, इसलिए शिवसेना और मनसे के राजनीतिक गठबंधन को लगभग तय माना जा रहा है.
रविवार को भी राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे और उनके परिवार से मातोश्री में मुलाकात की थी. यह पिछले एक हफ्ते के दौरान दोनों भाइयों के बीच दूसरी मुलाकात है. इन लगातार हो रही मुलाकातों को लेकर ही दोनों चचेरे भाइयों के एक साथ आने की अटकलें तेज हो गई हैं.
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महाराष्ट्र में बड़ी राजनीतिक हलचल
एक ओर मनसे की बैठक चल रही है तो कांग्रेस और एनसीपी भी अलग-अलग बैठकें कर रही हैं. बताया जा रहा है कि यहां राज ठाकरे के महाविकास अघाड़ी में शामिल होने को लेकर भी चर्चाएं होंगी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की बैठक दोपहर दो बजे तो कांग्रेस की तीन बजे से बैठकें होंगी.
उधर सोमवार को ठाणे में उद्धव और राज की पार्टियों मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) का महानगरपालिका में कथित कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन भी है. ठाणे एकनाथ शिंदे का गढ़ है.
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राज कब हुए से शिवसेना से अलग?
राज ठाकरे दो दशक पहले शिवसेना से अलग हुए थे. जब राज शिव सेना से अलग हुए थे तब बाल ठाकरे जीवित थे और उनकी उम्र 80 साल की हो चुकी थी. राज ठाकरे ने 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बनाई और 2012 में बाल ठाकरे का निधन हुआ था. अब करीब 20 साल बाद इसी साल जुलाई में उन्होंने मुंबई की एक रैली में उद्धव ठाकरे के साथ मंच साझा किया था. इसके बाद से दोनों भाइयों के बीच दरार कम होने और राजनीतिक तौर पर एक दूसरे के साथ आने की अटकलें लगातार लगाई जा रही हैं.
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महाविकास अघाड़ी की पार्टी राज के शामिल होने से असहज
2019 में उद्धव ठाकरे ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी गठबंधन बना कर राज्य में सरकार बनाया था. अब जबकि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में राज ठाकरे के आने की अटकलें तेज हैं तो राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि इस गठबंधन की पार्टियां राज के आने से असहज हैं. सबसे अधिक असहज कांग्रेस पार्टी बताई जा रही है.
दरअसल, राज ठाकरे की मनसे का इतिहास हिंदी भाषी प्रवासियों और मुसलमानों के प्रति आक्रामक रहा है. कांग्रेस को डर है कि राज ठाकरे को साथ लेने पर उसकी धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान होगा और पार्टी का अल्पसंख्यक वोट बैंक छिटक सकता है, जो महाविकास अघाड़ी के लिए महत्वपूर्ण है. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा है कि राज ठाकरे को गठबंधन का हिस्सा बनने से पहले अपने हिंदी विरोधी और प्रवासी विरोधी रवैये को छोड़ना होगा.
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उधर एनसीपी (शरद पवार गुट) ने शुरुआत में ठाकरे भाइयों के एक साथ आने का स्वागत किया था, क्योंकि इससे बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक शक्ति मजबूत होगी. हालांकि, उन्हें भी अल्पसंख्यक वोटों को खोने की चिंता है. महाविकास अघाड़ी नेताओं का खास जोर इस पर रहा है कि राज ठाकरे को इस गठबंधन में शामिल करने का फैसला सभी घटक दलों की आपसी सहमति से ही लिया जाए, खासकर बीएमसी चुनाव को ध्यान में रखकर.