महाराष्ट्र की सियासत में फिर लौटा फोन टेपिंग का 'भूत', अब संजय राउत ने किया दावा, जानिए पहले कब-कब लगे आरोप

संजय राउत द्वारा लगाए गए ताजा फोन टेपिंग के आरोप देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच कथित मतभेदों की पृष्ठभूमि में आए हैं. हालांकि, बीजेपी और शिवसेना दोनों के नेताओं ने राउत के दावे को खारिज कर दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
मुंबई :

महाराष्ट्र में फिर एक बार राजनेताओं के फोन टेपिंग (Phone Tapping) का मुद्दा गर्मा गया है. शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने सामना अखबार में लिखे अपने स्तंभ के जरिए आरोप लगाया है कि बीजेपी केंद्र सरकार की एजेंसियों के ज़रिए डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का फोन टेप कर रही हैं. राउत ने यह दावा शिंदे सेना के एक अनाम विधायक के हवाले से किया, जिनसे उनकी बातचीत एक फ्लाइट यात्रा के दौरान हुई थी. 

महाराष्ट्र में सत्ताधारी नेताओं पर फोन टेपिंग के आरोप कोई नई बात नहीं है. इस सदी की शुरुआत में, महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री छगन भुजबल को भी इसी तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा था. बहुचर्चित तेलगी स्कैम का खुलासा करने वाले पत्रकार संजय सिंह ने अपनी किताब में आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस के कुछ भ्रष्ट अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर उनकी फोन कॉल्स इंटरसेप्ट कर रहे थे. भुजबल का नाम इस विवाद में घिर गया था. सिंह ने दावा किया कि घोटाले की जांच में बाधा डालने के लिए उनकी कॉल्स को सुना जाने लगा.

फडणवीस के पहले कार्यकाल में भी लगे थे आरोप 

महा विकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब एक फोन टैपिंग कांड सामने आया था. आरोप लगा कि देवेंद्र फडणवीस के पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, राज्य खुफिया विभाग (SID) ने गैरकानूनी तरीके से कई नेताओं के फोन टैप किए थे. इनमें संजय राउत, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी नेता एकनाथ खड़से शामिल थे, जो उस समय विपक्ष में थे. दावा किया गया कि राउत का फोन 60 दिनों तक इंटरसेप्ट किया गया, जबकि खड़से का फोन 67 दिनों तक निगरानी में था. मौजूदा महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख रश्मि शुक्ला उस समय SID की प्रमुख थीं.

Advertisement

आरोपों पर महाराष्‍ट्र में हुआ था बड़ा सियासी हंगामा 

इन आरोपों के कारण महाराष्ट्र में बड़ा सियासी हंगामा हुआ, जिसके बाद शुक्ला के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए. वह गिरफ्तारी के कगार पर थीं लेकिन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चली गईं. सत्ता परिवर्तन के बाद जब वह अपने मूल कैडर में लौटीं तो उन्हें एकनाथ शिंदे सरकार में राज्य पुलिस प्रमुख बनाया गया. आखिर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मामलों से उन्हें मुक्त कर दिया.

Advertisement

सिर्फ विशेष परिस्थितियों में की जा सकती है फोन टेपिंग

भारत में सरकारी एजेंसियों द्वारा फोन इंटरसेप्शन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत नियंत्रित होता है. फोन टेपिंग केवल विशेष परिस्थितियों में ही अनुमति प्राप्त करके की जा सकती है, जैसे कि सार्वजनिक आपातकाल, राष्ट्रीय सुरक्षा या जनसुरक्षा के लिए खतरा, या किसी अपराध को उकसाने से रोकने के लिए. फोन इंटरसेप्शन की मंजूरी संबंधित राज्य के गृह सचिव या केंद्र सरकार द्वारा दी जानी चाहिए. राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करने के लिए फोन टेप करना अवैध है और सत्ता के दुरुपयोग के रूप में देखा जाता है. यदि कोई अधिकारी अवैध फोन टेपिंग का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की सजा का प्रावधान है.

Advertisement

संजय राउत द्वारा लगाए गए ताजा फोन टेपिंग के आरोप देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच कथित मतभेदों की पृष्ठभूमि में आए हैं. हालांकि, बीजेपी और शिवसेना दोनों के नेताओं ने राउत के दावे को खारिज कर दिया है. उनका मानना है कि राउत का यह बयान महायुति गठबंधन में असंतोष फैलाने की एक रणनीति मात्र है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Devendra Fadnavis, Eknath Shinde के बीच बढ़ी तकरार, अंदरूनी कलह में Mahayuti सरकार | Maharashtra
Topics mentioned in this article