"जय श्री राम" : अगली सियासी पारी के संजय निरुपम ने दिए संकेत, कांग्रेस ने कर दिया था निष्कासित

संजय निरुपम 2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव जीतने सफल रहे थे हालांकि पिछले 2 लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

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नई दिल्ली:

कांग्रेस से बुधवार को निष्कासित किए गए वरिष्ठ नेता संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने अपनी भविष्य की राजनीति को लेकर संकेत दिए हैं. संजय निरुपम ने पहले नेहरु वादी धर्मनिरपेक्षता की आलोचना की और अब उन्होंने  "जय श्री राम" के नारे के साथ अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर इशारों में ही बड़ा संकेत दिया.  मीडिया से बात करते हुए पूर्व सांसद निरुपम ने कहा कि "मेरे पास योजनाएं हैं, निश्चित रूप से मैं कहीं न कहीं शामिल हो रहा हूं. जल्दी ही घोषणा करूंगा. आप जय श्री राम से अर्थ निकाल सकते हैं. 

संजय निरुपम को कांग्रेस पार्टी ने निष्कासित कर दिया था
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र में बड़ा एक्शन लेते हुए. मुंबई के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम को पार्टी से बुधवार को निकाल दिया था. अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों के कारण निरुपम को 6 साल के लिए पार्टी से निकाला गया है. इससे पहले कांग्रेस ने निरुपम का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट से भी हटा दिया था. वहीं, संजय निरुपम ने गुरुवार को बड़ा ऐलान करने की बात कही थी. 

कांग्रेस और निरुपम में क्यों बढ़ी दूरी? 
दरअसल, संजय निरुपम महाराष्ट्र में मुंबई नॉर्थ-वेस्ट सीट से टिकट नहीं मिलने को लेकर नाराज हैं. राज्य में कांग्रेस, शिवसेना उद्धव ठाकरे और एनसीपी शरद पवार MVA गठबंधन में है. 27 मार्च को शिवसेना उद्धव गुट ने 17 कैंडिडेट्स का ऐलान किया था. इसमें मुंबई नॉर्थ-वेस्ट सीट भी शामिल थी, जहां से अमोल कीर्तिकर को टिकट दिया गया है. निरुपम यहां से टिकट चाहते थे. खुद राहुल गांधी ने उन्हें यहां से टिकट का भरोसा दिया था, लेकिन उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया. निरुपम की नाराजगी इसी बात से हैं. टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस और INDIA अलायंस के खिलाफ मोर्च खोल दिया था.

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शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर साधा था निशाना
संजय निरुपम ने कहा है कि कांग्रेस नेतृत्व को उद्धव ठाकरे की पार्टी के सामने खुद को कमजोर नहीं होने देना चाहिए.  शिवसेना की सूची जारी होने के तुरंत बाद, उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि कांग्रेस को शिवसेना (यूबीटी) के दबाव में नहीं आना चाहिए क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी कांग्रेस के समर्थन के बिना कोई भी सीट जीतने में सक्षम नहीं है.

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