बिहार की राजधानी पटना में बालू माफिया का खुला खेल जारी है. इसकी जानकारी तब हुई जब बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मनेर और बिहटा इलाके में छापेमारी की. यहां से पुलिस ने 40 ट्रक से अधिक बालू बरामद किया है. इस बालू को वहां ढेर लगाकर रखा गया है. पुलिस ने दो जगहों से करीब 90 हजार वर्ग फुट बालू बरामद किया गया है.इसकी बाजार कीमत लाखों में है. इस सिलसिले में मनेर पुलिल थाने में खनन विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई गई है.
पुलिस ने कहां से बरामद किया बालू का जखीरा
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मनेर के चौरासी और सूअरमरवां गांव में छापेमारी की. वहां रेत का ढेर लगा था. वहीं बिहटा के पांडेयचक गांव में भी अवैध बालू मिला है. इन जगहों से 90 हजार वर्ग फुट बालू बरामद किया गया है. इस बालू को जब्त कर लिया गया है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्य में 15 जून 15 अक्टूबर तक बालू खनन पर रोक लगा रखी है. रेत माफियाओं पर इसका कोई असर नहीं है. वो इस रोक की अनदेखी कर भंडारण कर रहे हैं. इसे रोकने के लिए पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने विशेष टीमें तैनात की हैं. पटना जिले में हुई इस कार्रवाई से पहले भोजपुर में भी छापेमारी की गई थी.
बिहार में बालू खनन पर क्यों लगी है रोक
मानसून के दौरान पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर बालू खनन पर रोक लगाई जाती है. नदियों में रहने वाले जीवों की संख्या बढ़ाने और उनको नुकसान से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है. एनजीटी के आदेश को लागू करने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की है. इसी क्रम में इस महीने की 15 तारीख से बिहार के सभी नदी घाटों से बालू उठाने पर रोक लग गई थी. इस दौरान लाइसेंसधारी ठेकेदार भी नदियों से बालू का खनन नहीं कर सकते हैं. इस रोक के दौरान दूसरे राज्यों में भी बालू भेजने पर रोक लगी हुई है.
रोक के दौरान बालू की मांग को पूरा करने के लिए नदी घाटों के आस-पास 30 लाख क्यूबिक फीट (सीएफटी) से अधिक बालू का भंडारण किया गया है. दूसरे लोगों को भी बालू भंडारण का लाइसेंस दिया गया है. इस दौरान जब्त बालू की भी बिक्री हो सकेगी. बिहार में अनुमान के मुताबिक बालू की सालाना खपत 50 करोड़ सीएफटी के आसपास है.
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