Samsung ने किया टैक्स डिमांड का विरोध, कहा- इन्हीं उपकरणों के इंपोर्ट पर Reliance से क्यों नहीं ली गई ड्यूटी

Samsung ने 17 अप्रैल को दायर अपनी फाइलिंग में कहा कि सैमसंग के अपनाए गए क्लासिफिकेशन के बारे में अधिकारियों को पता था, हालांकि इस पर कभी सवाल नहीं उठाया गया. विभाग को इसकी पूरी जानकारी थी.' ये फाइलिंग सार्वजनिक नहीं है, ये खबर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दी है.

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सैमसंग ने भारतीय ट्रिब्यूनल से अपील की है. अपील में कहा गया है कि गलत तरीके से दर्ज किए गए नेटवर्किंग उपकरणों के आयात पर 520 मिलियन डॉलर की टैक्स डिमांड पर रोक लगाई जाए. इस अपील में तर्क दिया गया कि अधिकारियों को इस बारे में पता था, क्योंकि भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सालों तक इसी उपकरण को ऐसे ही इंपोर्ट किया है. इसके डॉक्यूमेंट उसके पास मौजदू हैं.

सैमसंग ने सवाल किया है कि इन्हीं उपकरणों के इंपोर्ट पर Reliance से जब ड्यूटी नहीं ली गई तो फिर उससे क्यों टैक्स की डिमांड की जा रही है.

सैमसंग ने उठाया रिलायंस का मुद्दा

सैमसंग मामले की बात करें तो टैक्स ऑफिसर ने जनवरी में सैमसंग को गीयर्स के इंपोर्ट पर 10-20% टैरिफ नहीं देने के मामले 520 मिलियन डॉलर का भुगतान करने को कहा. इन गीयर्स को कंपनी ने साल 2018 से 2021 में रिलायंस जियो को बेच दिया था. Customs Excise और Service Tax की अपील में 281 पन्नों में, सैमसंग ने भारतीय अधिकारियों के बारे में बताया है कि वे इस बिजनेस मॉडल के बारे में पूरी तरह से जानते हैं. क्योंकि रिलायंस ने 2017 में तीन साल तक बिना किसी टैरिफ भुगतान के यही उपकरण इंपोर्ट किए थे.

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इस मामले में हैरान करने वाली एक और बात है. सैमसंग की भारतीय सब्सिडियरी का कहना है कि उन्होंने मामले की पड़ताल के दौरान पाया कि रिलायंस को इसी मामले में 2017 में भारतीय टैक्स विभाग ने चेतावनी दी थी. मगर कंपनी ने बिना कोई ड्यूटी दिए चुपचाप इंपोर्ट बंद कर दिया और इन्हीं उपकरणों का कॉन्ट्रैक्ट सैमसंग को दे दिया. रिलायंस ने सैमसंग को टैक्स विभाग से 2017 में चेतावनी की जानकारी नहीं दी. ऐसे सैमसंग को लगा कि जब रिलायंस से इन पर ड्यूटी नहीं ली गई है तो इसका मतलब है कि उसे भी ये ड्यूटी नहीं देनी है.

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को मिली रिपोर्ट

सैमसंग ने 17 अप्रैल को दायर अपनी फाइलिंग में कहा, 'सैमसंग द्वारा अपनाए गए क्लासिफिकेशन के बारे में अधिकारियों को पता था, हालांकि इस पर कभी सवाल नहीं उठाया गया. विभाग को पूरी जानकारी थी.' ये फाइलिंग सार्वजनिक नहीं है, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार है.

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सैमसंग और भारत के टैक्स डिपार्टमेंट ने रॉयटर्स के सवालों के जबाव नहीं दिए हैं. टैक्स ऑफिसर से रिलायंस की 2017 की चेतावनी के बारे में आगे की जानकारी सार्वजनिक नहीं है और सैमसंग की फाइलिंग में इसका खुलासा नहीं किया गया है. रिलायंस ने भी रॉयटर्स के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया. सैमसंग पर 520 मिलियन डॉलर की मांग के अलावा, भारतीय टैक्स अधिकारियों ने कंपनी के सात कर्मचारियों पर 81 मिलियन डॉलर का जुर्माना भी लगाया है, जिससे कुल कर मांग 601 मिलियन डॉलर हो गई है. अभी इस बारे में नहीं पता चल पाया है कि सैमसंग के कर्मचारी जुर्माने को अलग से चुनौती दे रहे हैं या नहीं.

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'टैक्स डिपार्टमेंट ने नहीं दिया समय'

आपको बता दें कि टैक्स डिमांड भारत में सैमसंग के पिछले साल के 955 मिलियन डॉलर के नेट प्रॉफिट का एक बड़ा हिस्सा है. अपने टैरिफ घोषणाओं का बचाव करते हुए, सैमसंग ने अपनी फाइलिंग में ये भी तर्क दिया कि टैक्स डिपार्टमेंट ने जनवरी में जल्दबाजी में ये आदेश दिया और कंपनी को अपना मामला पेश करने का समय नहीं दिया गया.

बताते चलें कि रिमोट रेडियो हेड के इंपोर्ट से कंपनी का ये मामला जुड़ा हुआ है. इसका इस्तेमाल एक छोटे आउटडोर मॉड्यूल में रेडियो-फ्रीक्वेंसी सर्किट के तौर पर होता है. इसके लिए टैक्स ऑफिसर्स का कहना है कि 4G नेटवर्क के लिए ये जरूरी टेक्नॉलॉजी है. सैमसंग मामले में आरोप लगाया है कि मुनाफे को बढ़ाने को कंपनी ने साल 2018 से 2021 के बीच कोरिया और वियतनाम से $784 मिलियन मूल्य के कंपोनेंट के इंपोर्ट को गलत तरीके से शो किया.

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