सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज यानी मंगलवार को समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर फैसला सुनाया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI) ने कहा कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र पर निर्भर करता है.
विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम: CJI
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है और न्यायालय कानून की केवल व्याख्या कर सकता है, उसे बना नहीं सकता.
समलैंगिक विवाह देश की सांस्कृतिक के खिलाफ: भारत सरकार
केंद्र सरकार हमेशा से समलैंगिक विवाह की मांग के विरोध में रही है. भारत सरकार ने कहा कि ये न केवल देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 158 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी.
34 देशों ने समलैंगिक विवाहों को वैध करार दिया
बता दें कि दुनिया के 194 देशों में से कुछ ही देशों ने सेम सेक्स मैरिज या समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है. दुनिया भर में केवल 34 देशों ने समान-लिंग विवाहों को वैध बनाया है, जिनमें से 24 देशों ने इसे विधायी प्रक्रिया के माध्यम से, जबकि 9 ने विधायिका और न्यायपालिका की मिश्रित प्रक्रिया के माध्यम से यह किया है. जबकि दक्षिण अफ्रीका अकेला देश है, जहां इस प्रकार के विवाहों को न्यायपालिका द्वारा वैध किया गया है.
इन देशों में सेम सेक्स मैरिज को दी गई है मान्यता
केंद्र के मुताबिक, अमेरिका और ब्राजील प्रमुख देश हैं, जहां मिश्रित प्रक्रिया को अपनाया गया था. विधायी प्रक्रिया के माध्यम से समान-लिंग विवाह को वैध बनाने वाले महत्वपूर्ण देश यूके, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड, फिनलैंड, डेनमार्क, क्यूबा, स्लोवेनिया और बेल्जियम हैं.
पिछले साल 3 देशों ने सेम सेक्स मैरिज को वैध बनाया
बता दें कि एंडोरा, क्यूबा और स्लोवेनिया, तीन ऐसे देश हैं जहां पिछले साल सेम सेक्स मैरिज को कानूनी रूप से वैध करार दिया गया है.