भारत प्रथम, वसुधैव कुटुंबकम देश की विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे : एस. जयशंकर

जयशंकर ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह बहुत बड़ा सम्मान, बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे एक बार फिर विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है. आप सभी जानते हैं कि पिछले कार्यकाल में इस मंत्रालय ने वास्तव में असाधारण प्रदर्शन किया था.’’

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

राजनयिक से नेता बने एस. जयशंकर ने विदेश मंत्री के रूप में मंगलवार को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने पर कहा कि ‘‘भारत प्रथम'' और ‘‘वसुधैव कुटुंबकम'' देश की विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे. उन्होंने कहा कि नयी सरकार का जोर, टकरावों और तनावों का सामना कर रहे विभाजित विश्व में भारत को ‘‘विश्व बंधु'' बनाने पर होगा.

जयशंकर (69) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पिछली सरकार में संभाले गए मंत्रालयों की ही जिम्मेदारी दी गई है. राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण सहित कई वरिष्ठ नेताओं को फिर से वही मंत्रालय सौंपे गये हैं, जो पिछली सरकार में उनके पास थे.

जयशंकर ने कहा, ‘‘भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निश्चित रूप से मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने हमें जो दो सिद्धांत दिए हैं - भारत प्रथम और वसुधैव कुटुंबकम - वे भारतीय विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि हम सब मिलकर एक अशांत, विभाजित विश्व में, संघर्षों और तनावों से भरी दुनिया में विश्व बंधु के रूप में खुद को स्थापित करेंगे.'' 

जयशंकर ने अपने मंत्रालयी सहयोगियों पबित्रा मार्गेरिटा और कीर्ति वर्धन सिंह का विदेश मंत्रालय में स्वागत भी किया. असम से राज्यसभा सदस्य मार्गेरिटा और उत्तर प्रदेश के गोंडा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने वाले सिंह विदेश मंत्रालय में नये राज्य मंत्री हैं.

जयशंकर ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह बहुत बड़ा सम्मान, बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे एक बार फिर विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है. आप सभी जानते हैं कि पिछले कार्यकाल में इस मंत्रालय ने वास्तव में असाधारण प्रदर्शन किया था.''

Advertisement

भारत की ‘‘पड़ोसी पहले'' नीति के महत्व को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, सेशेल्स और मॉरीशस के नेताओं को आमंत्रित करने का उल्लेख किया.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सभी पड़ोसी देश (शपथ ग्रहण समारोह में) आए और प्रधानमंत्री (मोदी) ने उन सभी से मुलाकात की. पड़ोसी के तौर पर हमारे संबंध पहली प्राथमिकता और मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.''

Advertisement

यह पूछे जाने पर कि क्या नयी सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट की मांग करेगी, जयशंकर ने सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि देश का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है.

जयशंकर वर्तमान में, गुजरात से राज्यसभा सदस्य हैं. जयशंकर ने यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी देशों की आलोचना को निष्प्रभावी करने से लेकर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति- दृष्टिकोण तैयार करने तक प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में अच्छा काम करने वाले अग्रणी मंत्रियों में से एक के रूप में उभरे.

Advertisement

उन्हें विदेश नीति के मामलों को खासकर भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान घरेलू पटल पर विमर्श के लिए लाने का श्रेय भी दिया जाता है. वर्तमान में जयशंकर गुजरात से राज्यसभा के सदस्य हैं. जयशंकर ने (2015-18) तक भारत के विदेश सचिव, अमेरिका में राजदूत (2013-15), चीन में (2009-2013) और चेक गणराज्य में राजदूत (2000-2004) के रूप में कार्य किया है.

वह सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) भी रहे. जयशंकर ने मॉस्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और तोक्यो के दूतावासों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में अन्य राजनयिक पदों पर भी काम किया है.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
UP के Sambhal से Bulandshahr तक मंदिरों और तहखानों का हुजूम, UP का “मंदिर मार्ग” किस जगह?
Topics mentioned in this article