यूक्रेन के कई शहरों में रूस लगातार हमले कर रहा है. इस हमले में दोनों ओर से भारी जान-माल को नुकसान पहुंचा है. इस हमले के बाद यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (Kharkiv National Medical University) की एक छात्रा लक्ष्मी ने एनडीटीवी को बताया कि हम बहुत तनाव में हैं. हमारे लिए रोमानिया जैसे पड़ोसी देशों को पार करने के लिए यूक्रेन की पश्चिमी सीमा की यात्रा करना असंभव है. यह हमसे लगभग 2,000 किमी दूर है. बता दें कि इस दूरी को तय करने में 20 घंटे से भी ज्यादा समय लग जाएंगे.
छात्रा ने कहा कि हम पास के सुपरमार्केट में भी नहीं जा सकते, यात्रा तो दूर की बात है. पश्चिमी सीमा पर हम दिन भर बमबारी और गोलाबारी की आवाज सुन सकते हैं. हमें यह भी नहीं बताया गया है कि कैसे आगे बढ़ना है. बता दें कि लक्ष्मी उसी विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों के साथ अपने निजी छात्रावास के पास एक इमारत के तहखाने में एक अस्थायी बंकर में शरण लिए हुई है.
खार्किव में रहने वाले तीसरे वर्ष के छात्र नंदन ने एनडीटीवी को बताया कि हम केवल इतना जानते हैं कि हमें इन बंकरों में रहना है. हम नहीं जानते कि हम कितने समय तक इस तरह जीवित रह सकते हैं. भोजन, पानी सब कुछ खत्म हो रहा है. हम केले और बिस्कुट खा रहे हैं. यहां पर वाई-फाई कनेक्टिविटी भी नहीं है. अब हम अपने सिम कार्ड के माध्यम से इंटरनेट चला रहे हैं और अपने परिवारों से बात कर रहे हैं. कौन जानता है कि यह कितने समय तक चलेगा.
तिरुवनंतपुरम के रफीक मोहम्मद और उनकी पत्नी साजी बेगम का बेटा भी यूक्रेन में फंस गया है. वह अपने बेटे को लेकर चिंतित हैं. रफीक मोहम्मद ने कहा कि मेरे बेटे आशिक को परीक्षा देनी थी. जून में उसके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है. 3-4 दिनों में स्थिति सचमुच अचानक खराब हो गई. इसके बाद हमने फ्लाइट सर्च की तो अधिकतर भरी हुई थीं. जहां कई उपलब्धता थी तो उनकी कीमतें आसमान छू रही थीं. 70000 रुपये से अधिक किराया था. रफीक मोहम्मद का बेटा आशिक भारत के करीब 18,000 छात्रों में शामिल है, जो यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा है.
आशिक की मां साजी बेगम ने एनडीटीवी को बताया कि आशिक पढ़ाई में अच्छा है, लेकिन कुछ रैंकों से चूक गया. यूक्रेन में उसके दोस्त थे. इसलिए उसने वहां स्टडी करने का फैसला किया. साजी बेगम कहती हैं कि केरल में निजी विश्वविद्यालयों के लिए 5 लाख रुपये फीस सालाना जमा करना होगा. यूक्रेन में हम सेमेस्टर के अनुसार जमा कर सकते हैं. यह छह महीने के लिए लगभग 1.8 लाख रुपये आता है.
भारत में चार साल की प्राइवेट मेडिकल एजुकेशन के लिए प्रति वर्ष 6 से 10 लाख रुपये का खर्च आएगा और एक बार में भुगतान करना होगा. जबकि यूक्रेन में यह सालाना 4 लाख रुपये से कम होगा और इसका भुगतान प्रत्येक सेमेस्टर की शुरुआत में किश्तों में किया जा सकता है. यूक्रेन में मेडिकल यूनिवर्सिटियों को यूरोप सहित कई देशों से अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है. यही कारण है कि बहुत से भारतीय छात्र दूर देश में डिग्री प्राप्त करने का विकल्प चुनते हैं.
केरल से मीलों दूर संतोष गोयल हरियाणा में अपने आंसू छिपाने की कोशिश करती हैं. जब वह अपनी बेटी प्रियंका से बात करती हैं, जो यूक्रेन में मेडिकल की चौथी वर्ष की छात्रा है. उनकी बेटी प्रियंका को 26 फरवरी को वहां से भारत लौटना था. संतोष ने कहा कि हरियाणा में मेडिकल की पढ़ाई महंगी है. यहां मेडिकल कॉलेजों में सीटें कम हैं और जहां सीटें उपलब्ध थीं, वहां फीस बहुत अधिक थी. इसलिए हमने अपनी बेटी को पढ़ने के लिए विदेश भेज दिया, और अब हम आंसू बहा रहे हैं.