- मणिपुर दौरे पर पहुंचे RSS प्रमुख ने राज्य में सामाजिक सद्भाव और दीर्घकालिक शांति की जरूरत पर जोर दिया
- भागवत ने कहा कि मणिपुर के लिए जो संभव हो सकेगा, हम करेंगे, कर भी रहे हैं. पिछले 3 साल में किया भी है
- कहा- विनाश में 2 मिनट लगते हैं, लेकिन निर्माण में 2 साल लग जाते हैं, खासकर जब बिना हानि पहुंचाए करना हो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत गुरुवार को तीन दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे. मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद उनका यह पहला मणिपुर दौरा है. इम्फाल में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने सामाजिक सद्भाव, सभ्यतागत एकता और राज्य में दीर्घकालिक शांति पर जोर देते हुए कहा कि मणिपुर के लिए जो संभव हो सकेगा, हम करेंगे, कर भी रहे हैं. पिछले 3 साल में किया भी है. सरकार को मालूम हो न हो, हमें फिक्र है. हम भारत के हर हिस्से को लेकर फिक्रमंद हैं.
'दिलों को जोड़ने में समय लगता है'
मोहन भागवत ने कहा कि हर जगह हमारा संगठन है. हम किसी सरकार के बलबूते नहीं हैं. हम काम करते हैं और कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. संघ प्रमुख ने कहा कि दिलों में मेलजोल का भाव लाने में समय लगेगा. विनाश में 2 मिनट लगते हैं, लेकिन निर्माण में 2 साल लग जाते हैं, खासकर जब उसे समावेशी ढंग से और बिना किसी को हानि पहुंचाए करना हो. शांति स्थापना में धैर्य, सामूहिक प्रयास और सामाजिक अनुशासन की आवश्यकता होती है. हम इस पर काम कर रहे हैं और करके रहेंगे. हमारा उद्देश्य है कि सब फिर से एक हों.
'हर चीज की सरकार से उम्मीद नहीं की जा सकती'
मणिपुर के मौजूदा हालात और चुनौतियों पर चर्चा करते हुए भागवत ने कहा कि स्थिरता लाने के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रयास जारी हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सब कुछ सरकार से अपेक्षित नहीं किया जा सकता. स्वावलंबी भारत के लिए समाज का आत्मनिर्भर और जिम्मेदार होना अनिवार्य है.
'संघ की आलोचना की वजह गलत प्रचार'
भागवत ने कहा कि आरएसएस को लेकर आज भी देश में लगातार चर्चा होती रहती है, जो अक्सर पूर्व नियोजित धारणाओं और गलत प्रचार की वजह से प्रभावित होती है. उनका कहना था कि संघ के खिलाफ दुष्प्रचार 1932–33 के आसपास ही शुरू हो गया था. इसके पीछे खासकर वो बाहरी ताकतें थीं, जो भारत और उसकी सभ्यतागत आत्मा को नहीं समझ पाई थीं. उन्होंने कहा कि संघ को धारणा नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर समझा जाना चाहिए.
भागवत बोले, RSS का कोई विकल्प नहीं
संघ के कार्यों को अतुलनीय बताते हुए उन्होंने कहा कि समुद्र, आकाश और सागर की कोई तुलना नहीं होती, उसी तरह आरएसएस का भी कोई विकल्प नहीं है. संघ का विकास पूरी तरह आर्गेनिक है. संघ को समझने के लिए शाखा में जाना आवश्यक है. आरएसएस का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज, यहां तक कि जो विरोध करते हैं, उन्हें भी संगठित करना है, न कि समाज में कोई अलग शक्ति केंद्र खड़ा करना.
'हिंदू शब्द महज धार्मिक पहचान नहीं है'
संघ प्रमुख ने स्पष्ट किया कि हिंदू शब्द किसी धार्मिक पहचान का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत विशेषण का सूचक है. मजबूत राष्ट्र के लिए गुणवत्ता और एकता अनिवार्य हैं. राष्ट्र की प्रगति सिर्फ नेताओं पर नहीं बल्कि संगठित समाज पर निर्भर करती है. हिंदू चिंतन की समावेशी दृष्टि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सत्य, करुणा, पवित्रता और तप ये धर्म के मूल तत्व हैं और यही हमारी हिंदू सभ्यता के प्राण हैं. उन्होंने आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया.













