बच्चों में मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए क्या करें, RSS चीफ मोहन भागवत ने बता दिया इसका इलाज

Mohan Bhagwat Tips For Parents: RSS की तरफ से 100 वर्ष की संघ यात्रा - 'नए क्षितिज' के तहत अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें संघ से जुड़ी तमाम जानकारी और इसके इतिहास को लेकर विस्तार से चर्चा हो रही है.

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मोहन भागवत ने पेरेंट्स को दिए टिप्स
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  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के 100 वर्ष पूरे होने के समारोह में कई मुद्दों पर चर्चा की
  • भागवत ने परिवार को एकजुट करने के लिए सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर मिलकर बातचीत करने की सलाह दी
  • उन्होंने बच्चों की मोबाइल लत छुड़ाने और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करने के उपाय बताए
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RSS चीफ मोहन भागवत ने संघ के 100 साल पूरे होने के कार्यक्रम के दौरान कई मुद्दों पर बातचीत की. राजधानी दिल्ली में हुए दो दिन के इस समारोह में भागवत ने आत्मनिर्भर बनने और हिंदू राष्ट्र जैसे मुद्दों पर भी बात की. साथ ही उन्होंने पारिवारिक मूल्यों के बारे में भी बताया. मोहन भागवत ने बताया कि बच्चों में मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए क्या करना चाहिए. आरएसएस प्रमुख के इन सुझावों को आप भी अपने परिवार में अपना सकते हैं.  

'परिवार को एकजुट करना जरूरी'

RSS की तरफ से 100 वर्ष की संघ यात्रा - 'नए क्षितिज' के तहत अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें संघ से जुड़ी तमाम जानकारी और इसके इतिहास को लेकर विस्तार से चर्चा हो रही है. 100 वर्ष की संघ यात्रा कार्यक्रम में मोहन भागवत ने परिवार को एकजुट करने के तरीके भी बताए. 

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मोहन भागवत ने कहा, आज बच्चों का माइंडसेट पढ़े-लिखे होते हुए भी इंडिविजुअलिस्टिक बनता जा रहा है. उनके मोबाइल में देखने के लिए अब पेरेंट्स को भी परमिशन लेनी पड़ती है. बच्चे अपनी निजी चीजें छुपाते हैं, सब प्राइवेट रहता है. पूछो तो लिमिटेड रहता है. ज्यादा पूछोगे तो उसे लगेगा कि यह टायरनी है, बच्चे जो भी जानकारी पाते हैं, उसी के अनुसार व्यवहार करते हैं. जो उन्हें फीड किया गया है, वही वो कर रहा है.

परिवार में बातचीत और चर्चा जरूरी

भागवत ने कहा कि यह स्थिति परिवार में संबंधहीनता की ओर बढ़ रही है, जिसके दुष्परिणाम समाज में देखे जा रहे हैं. इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों को सप्ताह में एक बार एक निश्चित समय पर मिलना चाहिए. घर पर भक्तिभाव से भजन करना चाहिए, घर का बना खाना खाना चाहिए और तीन से चार घंटे बातचीत में बिताने चाहिए. कोई हुक्म नहीं होना चाहिए, बस इस बारे में बातचीत होनी चाहिए कि हम कौन हैं, हमारे पूर्वज, पारिवारिक परंपराएं, क्या उचित है और क्या अनुचित, आज क्या बदल सकता है और क्या बदलने की जरूरत है. 

इस पूरी चर्चा पर कुछ सहमति बने तो उस बात को लागू करना है. दूध पीता हुआ बच्चा भी है तो उसे भी वहां बिठाएं. बच्चे इस चर्चा में सवाल पूछेंगे, उनके उत्तर देने के लिए तैयारी पूरी होनी चाहिए. पूरे परिवार के साथ बैठना काफी जरूरी है. हमारे पूर्वजों के आदर्श क्या थे, इसका इतिहास और अच्छी कहानियां बच्चों को बताना जरूरी है. 

हिंदुओं को दी सलाह

मोहन भागवत ने हिंदुओं को भी सलाह दी और कहा कि जो लोग अपने आप को हिन्दू कहते हैं, पहले उन्हें संगठित करो और उनका जीवन बेहतर बनाओ, तो किसी कारण से जो हिंदू होकर भी अपने आपको हिन्दू नहीं कहते हैं, वे भी कहने लगेंगे. इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी दबाव के बीच आत्मनिर्भर बनने की भी बात कही. 

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