बिहार में हारकर भी झारखंड में RJD ने पलट दिया खेल, जानिए कैसे 1 से 4 सीट पर पहुंच गयी तेजस्वी की पार्टी?

झारखंड में इस चुनाव में राजद ने बदली हुई रणनीति के तहत काम किया. यादव, मुस्लिम वोटर्स के साथ-साथ ब्राह्मण वोटर्स को भी राजद की तरफ से साधने की कोशिश हुई.

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नई दिल्ली:

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) में इंडिया गठबंधन को शानदार जीत मिली. इस चुनाव में जेएमएम ने 34, कांग्रेस ने 16, राजद ने 4 और भाकपा माले ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की.  जेएमएम और कांग्रेस ने जहां अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराया वहीं सबसे अधिक चर्चा राष्ट्रीय जनता दल की हो रही है. राजद को गठबंधन की तरफ से 6 सीटें दी गयी थी. गठबंधन के सहयोगी दल राजद की हैसियत को झारखंड में कम मान रहे थे. काफी मशक्कत के बाद तेजस्वी यादव की पार्टी को झारखंड में 6 सीटें गठबंधन की तरफ से दी गयी थी.

राजद ने इस चुनाव में पिछले चुनाव में जीती गयी एक सीट की तुलना में इस बार चार सीटों पर जीत दर्ज की है. राजद के उम्मीदवार गोड्डा, देवघर, विश्रामपुर, और हुसैनाबाद सीट पर बड़ी अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं.  एक तरफ जहां बिहार में राजद को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा वहीं दूसरी तरफ झारखंड में राजद ने 10 साल बाद बड़ी वापसी की है. 

झारखंड में राजद की क्या थी रणनीति?
झारखंड विधानसभा चुनाव को राजद की तरफ से चुनौती के तौर पर लिया गया. जिन सीटों पर राजद के उम्मीदवार मैदान में थे उन जगहों पर तेजस्वी यादव ने सभा की और राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने लंबे समय तक कैंप कर रणनीति बनायी. खासकर संथाल परगना के देवघर और गोड्डा सीट पर राजद ने रणनीति बदलकर काम किया. इन सीटों पर राजद के एमवाई समीकरण के साथ ही ब्राह्मण वोटर्स को भी राजद की तरफ से अपने साथ लाने की कोशिश हुई और राजनीति के जानकारों का मानना है कि राजद के उम्मीदवार इस कोशिश में सफल भी रहे.

  • गोड्डा और देवघर के इलाके में यादव वोटर्स के साथ-साथ मैथिल ब्राह्मण वोटर्स की भी अच्छी संख्या रही है. चुनाव के दौरान मनोज झा इस इलाके में लगभग एक सप्ताह तक कैंप करते रहे. राजद की तरफ से इन हिस्सों में डोर टू डोर कैंपेन चलाया गया. कई ऐसे इलाके रहे जहां बीजेपी के परंपरागत वोटर्स में भी राजद ने सेंध लगा दी. जिसका परिणाम रहा कि गोड्डा सीट पर राजद के संजय प्रसाद यादव ने बीजेपी के अमित मंडल को 21358 मतों से हरा दिया. यहां से बीजेपी के अमित मंडल ने 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी लेकिन राजद की बदली हुई रणनीति ने बीजेपी से यह सीट छीन लिया. 
  • देवघर एससी सुरक्षित सीट पर भी राजद के सुरेश पासवान ने बीजेपी उम्मीदवार नारायण दास को 39721 वोटों से हरा दिया. आरजेडी के सुरेश पासवान को 156079 वोट मिले हैं। वहीं, बीजेपी के नारायण दास को 116358 वोट मिले.देवघर बिहार झारखंड की सबसे बड़ी धार्मिक नगरी मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी की हार को बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.  
  • पलामू के बिश्रामपुर विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार नरेश प्रसाद सिंह 14587 वोटों के साथ चुनाव जीत गए. नरेश प्रसाद सिंह को कुल 74338 वोट मिल हैं. वहीं भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी  को कुल 59751 वोट मिले. 
  • पलामू के लिए हुसैनाबाद सीट पर भी राजद के उम्मीदवार ने पूर्व मंत्री कमलेश सिंह को बड़े अंतर से चुनाव में हरा दिया. राजद के उम्मीदवार को संजय कुमार सिंह यादव को 81,476 वोट मिले वहीं बीजेपी के कमलेश सिंह को महज 47,112 वोट मिले. राजद को 34 हजार मतों से जीत मिली. 

झारखंड में लंबे समय के बाद राजद ने की वापसी
झारखंड अलग राज्य के निर्माण के समय लगभग 2 दर्जन सीटों पर राजद की मजबूत पकड़ मानी जाती थी. पार्टी के राज्य में 9 विधायक थे. हालांकि धीरे-धीरे पार्टी का संगठन कमजोर होता गया और 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद का झारखंड में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा. लोकसभा के चुनाव में भी राजद को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने देवघर, गोड्डा और पलामू  के इलाके में जमकर मेहनत किया.साथ ही पार्टी की तरफ से यादव, मुस्लिम वोटर्स के साथ-साथ सवर्ण वोटर्स को भी साथ लाने की कोशिश हुई.

बिहार उपचुनाव में राजद का निराशाजनक प्रदर्शन
बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए ने सभी चार विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज कर राजद को बड़ा झटका दिया.  एनडीए ने इमामगंज (हम) पर कब्जा बरकरार रखा है तथा तरारी (भाजपा), रामगढ़ (भाजपा) और बेलागंज (जद-यू) को ‘इंडिया' गठबंधन से छीन लिया. इससे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उसे मजबूती मिली है. 
राजद अब विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा खो चुकी है. हालांकि तेजस्वी यादव ने परिणामों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और दावा किया कि महागठबंधन 2025 का विधानसभा चुनाव जीतेगा. 

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