भारत की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान अहम स्तंभ है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को लोगों से यह संकल्प लेने का आग्रह किया कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती हो.

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मोदी ने कहा कि महिला शक्ति समाज के सभी क्षेत्रों में मौजूद है और देश के विकास के लिए अहम है. 
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को लोगों से यह संकल्प लेने का आग्रह किया कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती हो. उन्होंने कहा कि बोलने में और आचरण में उन्हें (महिलाओं को) अपमानित करने संबंधी विकृति आई है. देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और ‘नारी शक्ति'(Nari Shakti) का समर्थन करने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के लिए विभिन्न नीतियों के जमीनी क्रियान्वयन को लेकर सरकार पर सवाल उठाए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं. क्या हम अपने व्यवहार और मूल्यों में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं.'' उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बोलने में और आचरण में ‘‘हम ऐसा कुछ न करें, जो महिलाओं का सम्मान कम करता हो.''महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक ट्वीट में इस मामले पर प्रधानमंत्री की ‘‘संवेदनशीलता'' की तारीफ की.

उन्होंने कहा, ‘‘लाल किले की प्राचीर से महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा करने की भावुक अपील करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की संवेदनशीलता को दिखाता है. देश की हर महिला अपनी ताकत और क्षमता के बल पर भारत को विकसित बनाने के ख्वाब को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.''एकजुट भारत के महत्व का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के पास एकता की अवधारणा पर दुनिया को सिखाने के लिए काफी कुछ है और एकता की यह अवधारणा परिवार की संरचना से शुरू होती है.

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उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता एकजुट भारत की कुंजी है. उन्होंने कहा कि पारिवारिक संरचनाओं में बेटों और बेटियों को समान महत्व दिए बिना एकता का विचार खो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत की विविधता का जश्न मनाना चाहिए...घर पर भी, एकता के बीज तभी बोए जाते हैं, जब बेटे और बेटी समान हों. अगर ऐसा नहीं होता तो एकता का मंत्र गूंज नहीं सकता. मैं उम्मीद करता हूं कि हम ऊंच-नीच या मेरा-तेरा के इस रवैये से छुटकारा पा सकें. लैंगिक समानता एकता का अहम मानदंड है.''

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मोदी ने कहा कि महिला शक्ति समाज के सभी क्षेत्रों में मौजूद है और देश के विकास के लिए अहम है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम कानून, शिक्षा, विज्ञान और पुलिस में ‘नारी शक्ति' की ओर देखें, तो हमारी बेटियां और माताएं भारत में अहम योगदान दे रही हैं.'' उन्होंने कहा कि नागरिकों को रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी चिनम्मा और बेगम हजरत महल जैसी भारत की महिलाओं की ताकत पर गर्व है. उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाएं त्याग और संघर्ष की प्रतीक हैं.

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हालांकि, महिला अधिकार कार्यकर्ता प्रधानमंत्री की टिप्पणी से ज्यादा प्रभावित नजर नहीं आईं और उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर महिलाओं से संबंधित योजनाओं के वास्तविक कार्यान्वयन में काफी कमी है. सामाजिक कार्यकर्ता और साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी देने की दिशा में काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठन ‘आकांक्षा श्रीवास्तव फाउंडेशन' की संस्थापक आकांक्षा श्रीवास्तव ने कहा कि पहला और अहम मुद्दा महिला सुरक्षा एवं शिक्षा का है. उन्होंने कहा,‘‘लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुंच में बहुत असमानता है, तो देखना चाहती हूं कि इस संबंध में नीतियों में क्या बदलाव है. कई ऐसे कस्बे हैं, जहां लड़कियों के लिए स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, क्योंकि ऐसी मानसिकता है कि लड़कियां अपनी शिक्षा को गंभीरता से नहीं लेतीं.''आकांक्षा ने पूछा कि निर्भया कोष के जरिए जो सुरक्षा कदम उठाए जाने थे, वे कहां हैं.

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‘ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेन्स असोसिएशन' की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि जब कोई निर्वाचित प्रतिनिधि रोजमर्रा की जिंदगी में ‘महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलने' की आवश्यकता की बात करता है, तो हमेशा उसका स्वागत किया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चिंता इस बात को लेकर है कि इस प्रकार के ‘सुझाव' बहुत आम होते हैं, इनमें कोई विशेष बात नहीं होती......''‘पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया' की प्रमुख योगिता भयाना ने कहा, ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पर भी लालकिले की प्राचीर से बात की गई थी लेकिन ‘‘हम हर रोज महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों के बारे में सुनते हैं.''

वहीं, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने कहा कि नरेंद्र मोदी अपने अंदर झांककर देखें तथा उन्हें महिलाओं के प्रति अपनी पार्टी के रवैये को भी देखना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने मोदी पर कटाक्ष किया और एक चुनावी रैली के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उनके द्वारा की गई 'दीदी ओ दीदी' टिप्पणी की याद दिलाई. ओ'ब्रायन ने ट्विटर पर बनर्जी का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री का एक वीडियो संलग्न किया और कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि हम महिलाओं के प्रति द्वेष समाप्त करने का संकल्प लें. पूरी तरह सहमत, श्रीमान. क्या हमें आपके साथ शुरुआत करनी चाहिए.''

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी महिलाओं पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी का एक वीडियो संकलन पोस्ट किया. इसमें राज्यसभा में कांग्रेस सदस्य रेणुका चौधरी की हंसी को लेकर उनकी टिप्पणी सहित बनर्जी पर उनकी टिप्पणी तथा कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर के बारे में '50 करोड़ की गर्लफ्रेंड' जैसी टिप्पणियों का जिक्र किया गया है. खेड़ा ने वीडियो का जिक्र करते हुए लिखा, 'अगर किसी को महिलाओं का सम्मान करने का संकल्प लेने की सबसे ज्यादा जरूरत है, तो वह यह व्यक्ति हैं.' भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने भी प्रधानमंत्री से महिलाओं के संबंध में अपनी पार्टी के पुरुषों के रवैये को देखने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ महिलाओं के बारे में नहीं है. समाज में सभी मनुष्यों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए. ऐसा इसलिए नहीं हो रहा है, क्योंकि मानसिकता को एक ऐसी पार्टी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है जो मनुस्मृति, पितृसत्ता और जाति व्यवस्था में विश्वास करती है. इस सरकार के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, फिर भी उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक पारित नहीं किया है.'' राजा ने कहा, 'उनका भाषण महज बयानबाजी है और महिलाओं के प्रति या सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के प्रति कोई गंभीर प्रतिबद्धता नहीं है.' शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोदी के शब्द जमीनी कार्रवाई से मेल नहीं खाते.


 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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