शोधकर्ताओं ने भीषण गर्मी में मजदूरों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को लेकर आगाह किया

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में कहा था कि इस साल अप्रैल-जून में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा और मध्य व पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ने की आशंका है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

देश अप्रैल-जून की अवधि में अत्यधिक गर्मी का सामना करेगा और तापमान पहले से ही बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने खेती, निर्माण और अन्य क्षेत्रों में खुले इलाके में काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में आगाह किया है.भारत मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में कहा था कि इस साल अप्रैल-जून में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा और मध्य व पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ने की आशंका है.

विभाग ने कहा कि मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में गर्मी सामान्य से अधिक दिन जारी रहने का अनुमान है.

प्रतिकूल मौसम की चेतावनी के बाद, शोधकर्ता बाहर काम करने के नए तरीकों की वकालत कर रहे हैं, जिसमें काम के घंटों में छूट और अनिवार्य ब्रेक शामिल हैं, ताकि श्रमिकों को गर्मी के प्रभावों से बचने में मदद मिल सके.

आईआईटी गांधीनगर में विक्रम साराभाई चेयर प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, 'शुष्क गर्मी से निपटना अपेक्षाकृत आसान होता है. जब शरीर गर्म होता है और हम पानी पीते हैं, तो वाष्पीकरण होता है और शरीर ठंडा हो जाता है. हालांकि, आर्द्र गर्मी में, हवा में उच्च नमी के कारण वाष्पीकरण कम हो जाता है जो शरीर के शीतलन तंत्र में बाधा डालता है.'

Advertisement

शोध के सह-लेखक मिश्रा ने चेतावनी देते हुए कहा, 'ऐसी परिस्थितियों में गहन श्रम करने से शरीर की गर्मी उस स्तर तक बढ़ सकती है जहां यह मृत्यु का कारण भी बन सकती है.'

Advertisement

तमिलनाडु में किए गए और पिछले साल अक्टूबर में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अत्यधिक गर्मी में काम करने से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा दोगुना से अधिक हो जाता है, साथ ही गर्मी आम तौर पर प्रतिकूल गर्भावस्था और प्रसव जोखिम को बढ़ाती है.

Advertisement

शोध की सह-लेखक और चेन्नई में श्री रामचन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के सार्वजनिक स्वास्थ्य संकाय में प्रोफेसर विद्या वेणुगोपाल ने कहा, 'हमने यह भी देखा कि शौचालयों तक सीमित पहुंच के कारण, महिलाएं कम खा-पी रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण हो रहा है. इससे गर्भावस्था भी प्रभावित होती है.”

Advertisement

शोध में 800 गर्भवती महिलाओं का मूल्यांकन किया गया, जिनमें से 47 प्रतिशत बाहर काम करते समय गर्मी के संपर्क में आई थीं.

वेणुगोपाल ने कहा कि बाहरी महिला श्रमिकों को उनके स्वास्थ्य पर गर्मी के अत्यधिक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से, जहां महिलाएं गर्भधारण के दौरान अक्सर आती हैं, उन्हें इस बारे में जागरूक किया जा सकता है कि अत्यधिक गर्मी उनके और उनकी संतानों के स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल रही है. सरकार बाहर काम करने वाली महिला श्रमिकों पर अत्यधिक गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठा सकती है.”

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Gadgets 360 With Technical Guruji: क्या आपको भी सोशल मीडिया की लत है? Tech Tip
Topics mentioned in this article