सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि उसने कोविड-19 के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की दिशा में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य भागीदारों के साथ काम किया है, और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि बच्चों को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जीवन रक्षक टीके मिलें. इस स्पष्टीकरण से एक दिन पहले यूनिसेफ ने कहा था कि दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में 35 लाख बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाया या सभी टीके उन्हें नहीं लगे. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कुछ मीडिया खबरों में यह आरोप लगाया गया है कि लाखों की संख्या में भारतीय बच्चे कोविड-19 के कारण हुए उत्पन्न व्यवधानों के चलते अपने नियमित टीकाकरण से चूक गए हैं, जिससे भविष्य में बीमारी का प्रकोप और मृत्यु का खतरा बढ़ गया है. ये रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सही तस्वीर नहीं दिखाती हैं.
कोरोना से ठीक होने के बाद शारीरिक समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे बच्चे
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद मंत्रालय सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत टीकाकरण सहित आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने की दिशा में केंद्रित है. मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों व विकास भागीदारों के साथ कोविड-19 के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की दिशा में काम किया और बच्चों को यूआईपी के तहत जीवन रक्षक टीके प्राप्त हो सकें, ये सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की है. बयान में कहा गया कि इसके अलावा, भारत सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यबल की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप देश ने एचएमआईएस द्वारा मापी गई 2021 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में 99 फीसदी डीटीपी3 कवरेज हासिल किया है. यह अब तक मापी गई उच्चतम डीटीपी3 कवरेज है. टीकाकरण सेवाओं पर कोविड-19 के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं.