उत्तराखंड विधानसभा में कथित रूप से मंत्रियों के रिश्तेदारों को मिलीं नौकरियां, सीएम ने किया जांच का आग्रह

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से नियुक्तियों में कथित अनियमितता के मामले की जांच कराने का आग्रह किया

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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर नियुक्तियों की जांच कराने का अनुरोध किया है.
नई दिल्ली:

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने राज्य विधानसभा (Uttarakhand assembly) में नेताओं और मंत्रियों के रिश्तेदारों को नौकरी देने के मामले की जांच का आग्रह किया है. उन्होंने गुरुवार को उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है. इस पत्र में सारी नियुक्तियों की जांच कराने का आग्रह किया गया है. बीते कुछ वक्त से विधानसभा में नियुक्तियों में कथित रूप से जमकर भाई भतीजावाद होने का आरोप लग रहा था. 

उत्तराखंड विधानसभा में हुईं नियुक्तियों की एक सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी. विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्तियां की गई हैं. कथित रूप से मुख्यमंत्री के स्टॉफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियों को विधानसभा में नौकरी पर लगवाने का आरोप है. यही नहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है. 

मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी भी आसानी से विधानसभा में नौकरी लेने में कामयाब हो गई.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे गए पत्र में कहा है कि, मीडिया में विधानसभा सचिवालय में कतिपय नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं. विधानसभा एक गरिमामय स्वायत्तशासी संवैधानिक संस्था है. इसकी गरिमा बनाए रखना हम सभी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. उन्होंने कहा है कि नियुक्तियों के लेकर विवाद पैदा हुआ है, इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए. कोई अनियमितता पाई जाती है तो अनियमित नियुक्तियों को निरस्त किया जाना चाहिए.  

धामी ने यह भी कहा है कि विधानसभा सचिवालय में भविष्य में निष्पक्ष एवं पारदर्शी नियुक्तियों के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए.

कथित रूप से बीजेपी के स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने 72 नियुक्तियां की हैं. एक तरफ पुष्कर सिंह धामी जांच की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ स्पीकर रहे प्रेमचंद अग्रवाल बड़े ढिठाई से कह रहे हैं कि इसमें जांच की कोई आवश्यकता नहीं है. 

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अग्रवाल ने बातचीत में कहा कि, टेंपररी अरेंजमेंट है इसमें विज्ञप्ति निकालने की जरूरत नहीं है. टाइप टू टाइप थ्री मकान कैसे मिले इसकी मुझे जानकारी नहीं है. सब नियमानुसार है इसमें जांच की क्या आवश्यकता है. आवश्यकता जब पड़ती है तब किया जाता है. 

सचिव की नियुक्ति आपको गलत नहीं लगती है, एक साल में तीन प्रमोशन दे दिए गए हैं? सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा कि, ''ठीक है ठीक है, शिथिलता का अधिकार है स्पीकर को, उसी से किया.''

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