अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के प्रशासन ने कहा है कि भारत (India) के साथ अमेरिका के संबंध अपनी विशेषताओं पर आधारित हैं और रूस (Russia) के साथ जारी तनाव का इन पर असर नहीं पड़ा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बृहस्पतिवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के साथ हमारा रिश्ता अपनी खूबियों पर टिका है.'' प्राइस से यह पूछा गया था कि क्या यूक्रेन संकट को लेकर रूस के साथ तनाव के कारण भारत के साथ अमेरिकी संबंधों पर असर पड़ा है. अमेरिका की तरफ से भारत के पक्ष में यह बात तब कही गई है जब भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में यूक्रेन के मुद्दे पर पर हुई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. अमेरिका और पश्चिमी देशों का दावा है कि रूस यूक्रेन के साथ युद्ध को तैयार है और इसी कारण उसने यूक्रेन की सीमा पर 1 लाख सैनिक तैनात किए हैं.
रूस ने यूक्रेन पर हमले की योजना से इंकार करता है और उसका कहना है कि सीमा पर उसके सैनिक सैन्य अभ्यास के लिए इकठ्ठा हुए हैं.
यूक्रेन की सीमाओं के पास एक लाख सैनिकों के जमावड़े के बीच यूक्रेन संकट पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय परिषद (UN Security Council) की एक बैठक हुई थी . संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वेस्ली नेबेन्ज़िया (Vasily Nebenzya) ने कहा था कि अमेरिका यूक्रेन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में बहस करवा कर "बिना मतलब के विवाद" को बढ़ावा दे रहा है. लहीं यूक्रेन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में हुई बहस का बचाव करते हुए अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड (Linda Thomas-Greenfield) ने कहा कि यूक्रेन की सीमा पर रूस की तरफ से एक लाख सैनिकों की तैनाती सुरक्षा परिषद में यूक्रेन मुद्दे पर बहस को उचित ठहराती है.
इस बैठक के लिए हुए प्रक्रीयात्मक वोट में रुस (Russia) और चीन (China) ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत (India), गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया. फ्रांस(France) , अमेरिका (US) और ब्रिटेन (UK) सहित परिषद के बाक़ी सभी सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया था
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने परिषद में कहा था कि भारत रूस और अमेरिका के बीच चल रही उच्च-स्तरीय सुरक्षा वार्ता के साथ-साथ पेरिस में नॉरमैंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है.
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए इस सप्ताह में दूसरी बार विदेश विभाग के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर भारत के रुख से संबंधित सवालों के जवाब देने से परहेज किया. प्राइस ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने रुख पर चर्चा करने के लिए मैं इसे अपने भारतीय साझेदारों पर छोड़ देता हूं.''
उन्होंने कहा, ‘‘रूस के सैन्य जमावड़े और यूक्रेन के खिलाफ उसकी अकारण संभावित आक्रामकता के बारे में हमारी चिंताओं पर हम अपने भारतीय साझेदारों सहित दुनिया भर के दर्जनों देशों के साथ संपर्क में हैं.'' प्राइस ने कहा कि ये ऐसी बातचीत है जो अमेरिका विभिन्न स्तरों पर कर रहा है.
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उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने पहले एक अलग संदर्भ में कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उसके आस पास के देशों से परे सुरक्षा वातावरण पर असर पड़ेगा. चाहे वह चीन हो या भारत अथवा दुनिया भर के देश, इसके प्रभाव दूरगामी होंगे और मुझे लगता है कि सभी इसे लेकर व्यापक समझ रखते हैं.''
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