"बागी विधायक बिना सामान के गए थे सूरत, होटल में मिले थे कपड़े": टीम शिंदे के MLA ने सुनाया बगावत का किस्सा

Maharashtra Politics: शिरसाट ने कहा कि यह बात शिंदे को बताई गई तो अगली सुबह कपड़ों से भरी एक गाड़ी वहां आ गई और सबने अपनी-अपनी पसंद के कपड़े लिए.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
शिरसाट ने कहा कि यह बात शिंदे को बताई गई तो अगली सुबह कपड़ों से भरी एक गाड़ी वहां आ गई.
औरंगाबाद:

शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने गुरुवार को बताया कि एकनाथ शिंदे के करीबी विधायक पिछले महीने जब मुंबई से सूरत के लिए रवाना हुए थे, तो उनके पास कोई सामान नहीं था. यहां तक कि उनके पास पहनने को अतिरिक्त कपड़े तक नहीं थे. साथ ही शुरुआत में वे ये भी नहीं जानते थे कि वे कहां जा रहे हैं. शिरसाट ने कहा कि विद्रोही विधायकों को गुजरात के सूरत पहुंचने पर नए कपड़े दिलाए गए, जहां उन्हें 21 जून को एक आलीशान होटल में ठहराया गया था.

फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली

शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के एक धड़े की बगावत की वजह से तीन दलों के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. शिंदे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं. सूरत से बागी विधायकों को असम के गुवाहाटी ले जाया गया और मुंबई लौटने से पहले वे कुछ वक्त तक गोवा में भी ठहरे थे. इसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

शिरसाट ने औरंगाबाद में पत्रकारों से कहा, “ सूरत गए विधायकों के पास गुवाहाटी के लिए रवाना होने से पहले पर्याप्त कपड़े तक नहीं थे. जब हमने यह बात एकनाथ शिंदे को बतायी तो सूरत के होटल में एक तरह से कपड़ों की पूरी दुकान लगाई गई और हमें नए कपड़े मिले.” उन्होंने यह भी कहा कि कि शुरुआत में बागी विधायकों को यह भी नहीं पता था कि वे कहां जा रहे हैं और वे बिना सामान के अपने नेता शिंदे के साथ थे.

विधायक अपने साथ कपड़े नहीं लाए थे

औरंगाबाद पश्चिम सीट से विधायक ने कहा, “हम इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि हम कहां जा रहे हैं. लेकिन जब एकनाथ शिंदे ने हमें उनके साथ आने को कहा तो हम सबने कुछ नहीं पूछा, बस उनके साथ चल दिए. हम सूरत के एक होटल (21 जून को) में देर रात करीब दो बजे पहुंचे. लेकिन कोई भी विधायक अपने साथ कपड़े नहीं लाया था.'

शिरसाट ने कहा कि यह बात शिंदे को बताई गई तो अगली सुबह कपड़ों से भरी एक गाड़ी वहां आ गई और सबने अपनी-अपनी पसंद के कपड़े लिए. उन्होंने कहा कि यह एक कपड़े की दुकान की तरह था और न सिर्फ कपड़े लिए गए बल्कि दाढ़ी बनाने का सामान एवं जूते-चप्पल भी उपलब्ध कराए गए. उन्होंने यह भी बताया कि शिंदे जिस तरह के कपड़े पहनते हैं, वे उसमें नहीं थे और उनके कपड़े बाद में ठाणे से सूरत लाए गए.

यह भी पढ़ें - 
-- "ये हमारा आंतरिक मामला है", मो. जुबैर की गिरफ्तारी पर भारत का जर्मनी को जवाब
-- असम के 12 जिलों में 9 लाख की आबादी बाढ़ से अब भी बेहाल, एक बच्चे की डूबने से मौत

Advertisement
Featured Video Of The Day
UP Madrasa Act: यूपी के मदरसों के लिए क्‍यों है खुशी का मौका, जरा Supreme Court के फैसले को समझिए
Topics mentioned in this article