₹2000 के नोट के चलन से बाहर होने का असर अब रियल एस्टेट बाजार पर भी पड़ता दिख रहा है. 2000 के नोट के चलन से बाहर होने के बाद कैश में प्रॉपर्टी खरीदने वालों की संख्या भी बढ़ी है. प्रॉपर्टी डीलर्स का कहना है कि सरकार के इस फैसले से बीते कुछ दिनों में प्रॉपर्टी खरीदने वालों की संख्या में पांच से सात फीसदी का इजाफा जरूर आया है. लेकिन जो लोग प्रॉपर्टी की बुकिंग के लिए आ रहे हैं वो ₹2000 के नोट का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं. हालांकि, प्रॉपर्टी डीलर्स का मानना है कि कैश में प्रॉपर्टी खरीद उनके लिए जोखिम भरा है.
खरीददारी के लिए कैश का हो रहा है इस्तेमाल
बता दें कि मुंबई में प्रॉपर्टी खरीद के लिए सबसे ज्यादा मांग बिजनेस क्लास की तरफ से आ रही है. जबकि लोग रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की तुलना में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की बुकिंग ज्यादा करवा रहे हैं. प्रॉपर्टी डीलर्स का कहना है कि जो लोग रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की बुकिंग के लिए आ रहे हैं वो वाइट मनी ट्रांजेक्शन चाहते हैं. जबकि प्रॉपर्टी खरीदने को लेकर कैश का ट्रांजेक्शन कम हुआ है.
2016 के बाद सख्त हुए हैं नियम
प्रॉपर्टी डीलर्स का कहना है कि 2016 में की गई नोटबंदी के बाद नियमों को सख्त किया गया है. यही वजह है कि पहले के मुकाबले अब कैश में डीलिंग लगभग 90 फीसदी तक कम हुए हैं. अब 2000 रुपये के नोट वापसी के ऐलान के बाद से प्रॉपर्टी डीलर्स के पास कैश में प्रॉपर्टी ख़रीदने की मांग बढ़ती दिख रही है.
मांग में 7 फीसदी तक का इजाफा
गौरतलब है कि उत्तर मुंबई में प्रॉपर्टी डीलर का काम कर रहे अरविंद गोयल बताते हैं कि बीते तीन दिनों में कैश में प्रॉपर्टी ख़रीद की मांग में क़रीब 5-7% बढ़ोतरी हुई है . काले धन पर रोक लगाने के लिए अचल संपत्तियों की डीलिंग में कैश के इस्तेमाल पर इनकम टैक्स का अलग नियम है. बीते 23 सालों में प्रॉपर्टी बाज़ार में काम कर रहे अनिल कुमार सेनापति भी कहते हैं कि मांग बढ़ी तो है लेकिन कैश में डीलिंग अब जोखिम भरा है .करीब 7% बढ़ी है मांग, खीरददार पूछते हैं 2000 के कैश में मिलेगा की नहीं, वैसे अब कोई जोखिम उठाना नहीं चाहता.
बैंक ट्रांजेक्शन ही सही विकल्प
उधर, अंतरराष्ट्रीय संपत्ति सलाहकार सैविल्स इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद नंदन बताते हैं की रियल एस्टेट में कैश ट्रांजेक्शन कई फ़ीसदी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे पास लिखित डेटा नहीं लेकिन रेरा, नोटबंदी के बाद कैश ट्रांजेक्शन बहुत कम हुआ है. ऐसा भी नहीं है कि कैश में डीलिंग पूरी रुक गई है लेकिन बहुत कम जरूर हुई है. लोग यानी कि सेलर और बायर अब दोनों में ये समझ आ गई है कि बैंक ट्रांजेक्शन ही सही है.
नकदी का इस वजह से बढ़ा इस्तेमाल
नकदी को खपाने का सबसे बड़ा साधन माने जाने वाले रियल एस्टेट ने 2016 की नोटबंदी में ऐसा चोट खाया कि डेवलपर्स अब नगदी रखने में यकीन नहीं करते. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि नोटबंदी से पहले जहां क़रीब 40-44% कैश में डीलिंग होती है वो घटकर अब क़रीब 10% तक रह गई है. आयकर अधिनियम की धारा 269 SS के तहत अगर कोई शख्स प्रॉपर्टी बेचते वक्त 20,000 या उससे अधिक की रकम कैश में ले रहा है तो उस पूरी रकम को हर्जाने के रूप में भरना होगा. केंद्र सरकार ने ये काले धन पर रोक लगाने की मंशा से किया था.
दिल्ली और मुंबई में 2000 रुपये के नोट बदलने के लिए लोगों से पहचान पत्र मांगे गए