भारत (India) ने कहा है कि वह रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia Ukraine War) में तनाव कम करने के प्रयासों का समर्थन करने को तैयार है. विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूक्रेन को लेकर मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध में तनाव बढ़ने को लेकर चिंतित है. मूलभूत सुविधाओं को निशाना बनाया जा रहा है और नागरिक मारे जा रहे हैं. अरिंदम बागची ने कहा कि हम दोबारा दोहराते हैं कि युद्ध के और भड़कने से किसी का फायदा नहीं होगा. भारत तनाव को तुरंत कम करने और मतभेद को कूटनीति और बातचीत से सुलझाने की अपील करता है. भारत तनाव कम करने के सभी प्रयासों को समर्थन देने को तैयार है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने युद्ध की शुरुआत से ही यह कहा है कि ग्लोबल ऑर्डर, संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के अनुसार काम करता है, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान होना चाहिए और सभी देशों की सीमाओं और संप्रभुता को सम्मान मिलना चाहिए.
इससे पहले रूसी नेता व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अब युद्ध का समय नहीं है. भारत पहले भी यूक्रेन रूस संघर्ष को बातचीत से सुलझाने की वकालत करता रहा है.
गौरतलब है कि रूस ने सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव समेत उसके कई शहरों पर हमला किया जिसमें नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया गया. राजधानी कीव में हमलों में आठ लोगों की जान जाने की खबर है.
“आतंकवादी” कार्रवाई का जवाब
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बाद में कहा कि यूक्रेन पर हमले मास्को नियंत्रित क्रीमिया प्रायद्वीप के एक पुल पर हमले समेत कीव की “आतंकवादी” कार्रवाई के जवाब में किए गए.
कई घंटों तक चलने वाले भीषण हमले ने मास्को द्वारा अचानक सैन्य हमलों को तेज किए जाने को परिलक्षित किया है। इससे एक दिन पहले ही पुतिन ने शनिवार को रूस को क्रीमिया के कब्जे वाले क्षेत्र से जोड़ने वाले विशाल पुल पर विस्फोट को यूक्रेनी विशेष सेवाओं द्वारा नियोजित एवं अंजाम दिया गया एक “आतंकवादी कृत्य” कहा था.
ज्ञात हो कि पिछले महीने समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ बैठक में कहा था कि कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है और संवाद एवं कूटनीति ऐसे विषय है जो दुनिया को स्पर्श करते हैं .
इस दौरान पुतिन ने अपनी ओर से कहा था कि वह यूक्रेन संकट पर भारत की चिंताओं से अवगत हैं और वह जल्द इसे समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं.