पता है कटे-फटे नोटों से RBI करेगा क्या जुगाड़? आइडिया जान रह जाएंगे हैरान

केंद्रीय बैंक ने पार्टिकल बोर्ड विनिर्माताओं को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की है. ये विनिर्माता अपने बोर्ड में लकड़ी के कणों की जगह अंतिम उपयोग के लिए नोटों से बने ब्रिकेट खरीदेंगे.

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कटे-फटे नोटों के लिए RBI की खास प्लानिंग.
नई दिल्ली:

अक्सर लोगों के जहन में ख्याल आता है कि जो कटे-फटे नोट हम बैंकों (Torn Notes In Banks) में छोड़ आते हैं उनका होता क्या होगा. इस सवाल का जवाब मिल गया है. भारतीय रिजर्व बैंक इसके लिए खास कदम उठाने जा रहा है. कागजी नोट के निपटान को और ज्यादा पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं. RBI अब कटे-फटे नोटों का इस्तेमाल लकड़ी के बोर्ड (पार्टिकल बोर्ड) बनाने में करेगा. 

कटे-फटे नोटों का क्या करेगा RBI?

आरबीआई ने इस तरह के बोर्ड बनाने वालों को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. EBI ने 2024-25 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में सालाना उत्पादित बैंक नोट के टुकड़ों या उससे बने ब्रिकेट (टुकड़ों को मिलाकर बनाया गया ब्लॉक) का कुल वजन 15,000 टन रहा है. केंद्रीय बैंक इसके निपटान के लिए हरित विकल्पों की तलाश में है.

कटे-फटे नोट जलाना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह 

परंपरागत रूप से, अधिकांश केंद्रीय बैंक और मुद्रा प्रबंधन से जुड़े अन्य प्राधिकरण कटे हुए बैंक नोट का निपटान जमीन भरने या ईंधन के रूप में उसे जलाने में करते हैं, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने कुछ वैकल्पिक समाधान की तलाश के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्त निकाय, काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान से एक स्टडी कराई. इस स्टडी से  पता चला है कि फटे-पुराने नोट से बने ब्लॉक लकड़ी के बोर्ड की तकनीकी जरूरतों के अनुरूप हैं. 

कटे-फटे नोटों से बनेंगे लकड़ी के बोर्ड

केंद्रीय बैंक ने पार्टिकल बोर्ड विनिर्माताओं को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की है. ये विनिर्माता अपने बोर्ड में लकड़ी के कणों की जगह अंतिम उपयोग के लिए ब्रिकेट खरीदेंगे. मुद्रा प्रबंधन विभाग बैंक नोट के टुकड़ों, ब्रिकेट्स के निपटान के लिए अधिक पर्यावरण-अनुकूल तरीके खोजने की दिशा में अपनी पहल को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाएगा. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकनोट में लगने वाले सुरक्षा धागे और फाइबर, सुरक्षा स्याही और छपाई में उपयोग किए जाने वाले अन्य रसायन पर्यावरण पर प्रभाव डालते हैं. इसीलिए इसके निपटान को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाये जाने की जरूरत है.


 इनपुट-भाषा के साथ

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