राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने रविवार को कहा कि अगले महीने होने वाला राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत मुकाबले से कहीं अधिक है और सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध करने की दिशा में एक कदम है. सिन्हा ने कहा कि वह अपने बेटे एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद जयंत सिन्हा का समर्थन नहीं मिलने को लेकर किसी ‘धर्म संकट' में नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा अपने ‘राज धर्म' का पालन करेगा और मैं अपने ‘राष्ट्र धर्म' का पालन करूंगा.'
उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव महज भारत के राष्ट्रपति के चुनाव से कहीं बढ़कर है. यह चुनाव सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध करने की दिशा में एक कदम है. यह चुनाव भारत की जनता के लिए संदेश है कि इन नीतियों का विरोध होना चाहिए.'
भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के लिए आदिवासी समुदाय की नेता द्रौपदी मुर्मू को मुकाबले में उतारने को लेकर सिन्हा ने कहा कि एक व्यक्ति को ऊपर उठाने से पूरे समुदाय का उत्थान नहीं होता.
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे अनुभव से, मैं कह सकता हूं कि एक व्यक्ति का उत्थान पूरे समुदाय को आगे नहीं बढ़ाता है. पूरे समुदाय का उत्थान सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों पर निर्भर करता है. इस पर और टिप्पणी किए बिना, मैं कहूंगा कि हमारे अपने इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक समुदाय में एक व्यक्ति के उत्थान के जरिये उस समुदाय को एक इंच भी ऊपर उठाने में मदद नहीं मिली है. यह केवल प्रतीकात्मक है और इसके अलावा कुछ नहीं है.'
उन्होंने कहा कि मुकाबला व्यक्तिगत लड़ाई से बहुत बड़ा है और जब तक लोग नहीं जागेंगे और पूरी व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, ‘‘तब तक हम स्थिति में सुधार नहीं देखेंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत जीत या हार की तुलना में बहुत कुछ दांव पर है. हमारा लोकतंत्र, हमारा संविधान खतरे में है और स्वतंत्रता संग्राम के सभी मूल्य खतरे में हैं, इसलिए भारत को खतरा है और उन्हें भारत की रक्षा के लिए आगे बढ़ना होगा.''
सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में आने वाला व्यक्ति ‘रबड़ स्टांप' से कहीं अधिक होना चाहिये. उन्होंने याद किया कि ऐसे राष्ट्रपतियों ने अतीत में कुछ मौकों पर किस तरह का व्यवहार किया था.
उन्होंने कहा, ‘अगर राष्ट्रपति भवन में एक और रबड़ स्टांप आ जाएगा, तो विनाशकारी होगा.'
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले राजग मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे सिन्हा ने कहा कि अगर वह चुने जाते हैं, तो वह राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों के 'दुरुपयोग' को तत्काल बंद कर देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय और निष्पक्षता बनी रहे.
सिन्हा सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. इस मौके पर राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, शरद पवार और ममता बनर्जी समेत कई विपक्षी नेताओं के उनके साथ रहने की उम्मीद है.
आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में संख्याबल और आंकड़े राजग उम्मीदवार के पक्ष में दिखाई देने के बीच सिन्हा ने दावा किया कि उन्हें मतदान की तारीख से पहले कुछ 'अदृश्य ताकतों' का समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा कि मुकाबले से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है.
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