कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले नेमप्‍लेट विवाद में अब रामदेव की एंट्री, जानें क्‍या कहा?

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालय मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. अब इस विवाद में योग गुरु बाबा रामदेव भी कूद पड़े हैं.

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यूपी के बाद उत्‍तराखंड सरकार ने भी लिया निणर्य...
नई दिल्‍ली:

नेमप्लेट विवाद में योग गुरु बाबा रामदेव भी कूद पड़े हैं. रामदेव बाबा ने सवाल किया है कि अगर मुझे अपनी पहचान बताने में कोई परेशानी नहीं है, तो फिर किसी और को कैसे हो सकती है? उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेस्‍तरां मालिकों को अपने नाम लिखने के निर्देश दिये हैं. इस निर्देश को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसे ‘भेदभावपूर्ण और साम्प्रदायिक' करार दिया, तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा इसे अन्‍य राज्‍यों में भी लागू करने की मांग की जा रही है. इस बीच रामदेव बाबा भी विवाद को एक कदम आगे लग गए हैं.  

फिर रहमान को पहचान उजागर करने में दिक्‍कत क्‍यों?

कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर 'नेमप्लेट' पर योग गुरु बाबा रामदेव का कहना है, "अगर रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई परेशानी नहीं है, तो फिर रहमान को अपनी पहचान उजागर करने में दिक्कत क्यों होनी चाहिए? हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए. किसी को नाम छुपाने की जरूरत नहीं है, सिर्फ काम में पवित्रता की जरूरत है. अगर हमारा काम पवित्र है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हिंदू हैं, मुस्लिम हैं या किसी अन्य समुदाय से हैं."

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"भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक फैसला" 

इधर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह ‘भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक' फैसला है तथा इससे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का हनन होता है. उन्होंने यह भी कहा कि उसकी कानूनी टीम इस आदेश के कानूनी पहलुओं पर विचार करेगी. मदनी ने कहा, "देश के सभी नागरिकों को संविधान में इस बात की पूरी आजादी दी गई है कि वे जो चाहें पहनें, जो चाहें खाएं, उनकी व्यक्तिगत पसंद में कोई बाधा नहीं डालेगा, क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकार के विषय हैं."

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यूपी के बाद उत्‍तराखंड सरकार ने भी लिया निणर्य

मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश के कुछ दिन बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया. उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसा निर्णय लिया है. मध्य प्रदेश में इंदौर-2 विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने इस संबंध में मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर आग्रह किया कि राज्य में सभी दुकानदारों के लिए अपनी दुकानों के बाहर दुकान मालिकों का नाम प्रदर्शित करना अनिवार्य किया जाए.

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