- रामविलास पासवान ने 2005 में आरजेडी से मुस्लिम सीएम बनाने की मांग की थी
- उस समय आरजेडी रामविलास की बात पर तैयार नहीं हुई थी
- अब चिराग पासवान ने भी एक्स पर पोस्ट करके मुस्लिमों से की है बड़ी अपील
चिराग पासवान ने बिहार चुनाव के दौरान मुस्लिम वोटों को लेकर एक बयान दिया जो पूरे बिहार में चर्चा का विषय बना हुआ है. चिराग ने एक्स पर लिखा है कि 2005 में मेरे नेता मेरे पिता स्व. रामविलास पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी थी, तब भी आपने उनका साथ नहीं दिया. आरजेडी 2005 में मुस्लिम मुख्यमंत्री के लिए तैयार नहीं था, आज 2025 में भी न मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार है, न उपमुख्यमंत्री! अगर आप बंधुआ वोट बैंक बनकर रहेंगे, तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?
आरजेडी पर निशाना
चिराग के कहने का मतलब है कि आरजेडी ने अति पिछड़ा जाति में से मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री पद के लिए एलान कर दिया है मगर मुसलमानों को छोड़ दिया. चिराग 2005 की याद दिलाना चाहते हैं. अब आपको बताते हैं कि 2005 में हुआ क्या था.
जानिए 2005 में क्या हुआ था
फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. वह आरजेडी और एनडीए दोनों के खिलाफ तीसरे मोर्चे के रूप में मैदान में उतरी. 243 सीटों वाली विधानसभा में लोजपा को 29 सीटें मिलीं, जिनमें दो मुस्लिम विधायक जीते थे. पासवान की रणनीति थी कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाकर लालू प्रसाद यादव की सत्ता को चुनौती दी जाए. लेकिन त्रिशंकु विधानसभा बनी. आरजेडी को 75 और एनडीए को 92 सीटें मिलीं, दोनों बहुमत से दूर रहे.
रामविलास ने खेला मुस्लिम सीएम का दांव
रामविलास पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री का दांव खेला मगर आरजेडी तैयार नहीं हुई. रामविलास पासवान ने न तो आरजेडी और न ही एनडीए का समर्थन किया, जिससे सरकार नहीं बनी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ. रामविलास पासवान के इस रणनीति से उनकी पार्टी में बगावत हो गया और 12 विधायक अलग हो गए जिसमें उनके भाई पशुपति पारस भी थे. फिर चुनाव हुआ रामविलास पासवान की पार्टी केवल 10 विधायकों पर सिमट गई और बागी विधायकों की मदद से एनडीए की सरकार बनी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने.
एनडीए में कितने मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट, जानिए
मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि जो चिराग पासवान आरजेडी से मुस्लिम उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं उन्होंने अपने कोटे के 29 सीटों में से केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. बीजेपी ने 101 सीटों में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिया है.जेडीयू ने अपने 101 में से 4 मुस्लिम उम्मीदवार दिया है ,पिछली बार 10 उम्मीदवारों को टिकट दिया था. जबकि जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा ने भी एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिए हैं. आरजेडी से 18, कांग्रेस से 10 और माले से 2 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
बिहार में मुस्लिम आबादी
बिहार जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में मुस्लिम आबादी 17.7 फीसदी है. 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 16.9 फीसदी थी. बिहार में 87 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से अधिक है. वहीं 47 विधानसभा की सीटें ऐसी है जहां मुस्लिम आबादी 15 से 20 फीसदी है. बिहार में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा सीमांचल में हैं.यहां के चार जिले किशनगंज (68%), कटिहार (44%), अररिया (43%) और पूर्णिया (38%) में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है. सीमांचल के इन चार जिलों में विधानसभा की 24 सीटें हैं.
राज्य में मुस्लिम विधायकों की संख्या
जहां तक मुस्लिम विधायकों के संख्या की बात करें तो 2010 के विधानसभा में 19 मुस्लिम विधायक थे जो 2015 में बढ़कर 24 हो गए क्योंकि तब लालू-नीतीश साथ लड़े थे और 2020 में फिर मुस्लिम विधायकों की संख्या 19 हो गई. 2020 में आरजेडी के 18 मुस्लिम उम्मीदवारों में से 8 जीते, कांग्रेस के 12 में से 4 जीते, जेडीयू के 10 उम्मीदवारों में से एक भी नहीं जीता, बीएसपी और सीपीआई माले का एक-एक विधायक जीता जबकि ओवैसी की पार्टी ने 15 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे उसमें 5 जीते थे. हालांकि ओवैसी की पार्टी के 4 विधायक बाद में आरजेडी में चले गए. इससे ये साबित होता है कि मुसलमानों को जहां भी विकल्प मिला उन्होंने उस पार्टी को भी आजमाया.
महागठबंधन एनडीए की बढ़ाएगा मुसीबत
सूत्रों की माने तो महागठबंधन ने अभी अति पिछड़ा जाति से मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री बना कर ऐसा संदेश दिया है जिसका काट फिलहाल एनडीए ढूढने में लगा हुआ है और आने वाले दिनों में महागठबंधन की तरफ से एक मुस्लिम और एक दलित उप मुख्यमंत्री की घोषणा होने की संभावना है.













