शुभेन्दु अधिकारी पर राहत सामग्री चुराने के आरोप में FIR, सहयोगी राखल बेरा को कोलकाता पुलिस ने किया गिरफ्तार

बेरा की गिरफ्तारी बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से गरमाई सियासत में नया तूफान ला सकती है. शुभेन्दु अधिकारी या बीजेपी के किसी अन्य बड़े नेता ने इस घटनाक्रम पर अभी कुछ नहीं कहा है.

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Suvendu Adhikari के बेहद करीबी माने जाते हैं राखल बेरा (Rakhal Bera)
कोलकाता:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेन्दु अधिकारी और उनके भाई सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ कांथी नगर पालिका कार्यालय से कथित तौर पर राहत सामग्री चोरी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस के अनुसार कांठी नगर प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य रत्नदीप मन्ना की शिकायत पर अधिकारी बंधुओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. "29 मई 2021 को दोपहर 12:30 बजे शुभेन्दु अधिकारी एवं उनके भाई एवं कांठी नगर पालिका के पूर्व नगर प्रमुख सौमेंदु अधिकारी के निर्देशानुसार शासकीय त्रिपाल जिसका अनुमानित मूल्य लगभग लाख रुपए है, उसको नगर पालिका कार्यालय का गोदाम का ताला अवैध रूप से खोलकर जबरदस्ती छीन लिया गया."

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1 जून को कांथी पुलिस स्टेशन में मन्ना द्वारा प्रस्तुत शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि भाजपा नेताओं ने कथित चोरी में सशस्त्र केंद्रीय बलों का इस्तेमाल किया है. कोलकाता पुलिस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेन्दु अधिकारी के करीबी राखल बेरा को गिरफ्तार कर लिया है. बेरा को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. शुभेन्दु के करीबी की गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है, जब पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच विधानसभा चुनाव के बाद विभिन्न मुद्दों पर तनाव बना हुआ है. बेरा पर 2019 के दौरान सिंचाईं एवं जलमार्ग मंत्रालय में नौकरी दिलाने के फर्जी वादा करके लोगों को धोखा देने का आरोप है. ऐसी शिकायत मिलने के बाद कोलकाता पुलिस ने जांच के दौरान उनकी गिरफ्तारी की है.

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बेरा की गिरफ्तारी बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से गरमाई सियासत में नया तूफान ला सकती है. शुभेन्दु अधिकारी या BJP के किसी अन्य बड़े नेता ने इस घटनाक्रम पर अभी कुछ नहीं कहा है.शुभेन्दु अधिकारी ने ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रतिष्ठापूर्ण नंदीग्राम सीट से हरा दिया था. हालांकि चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई. इससे पहले चक्रवाती तूफान यास को लेकर बुलाई गई समीक्षा बैठक के दौरान ने विवाद का रूप लिया था. माना जाता है कि बैठक में नेता विपक्ष शुभेन्दु अधिकारी को बुलाए जाने से ममता बनर्जी खुश नहीं थीं. लिहाजा वो और तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए थे. ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्हें पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में जाना था, लिहाजा वो पीएम मोदी से अनुमति लेकर ही वहां से रवाना हुईं.

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हालांकि केंद्र सरकार के सूत्रों ने ऐसी किसी मंजूरी से इनकार किया था. बंदोपाध्याय को बैठक में न आने को लेकर केंद्र ने वापस दिल्ली आने का फरमान भी सुना दिया था, हालांकि उन्होंने ऐसा करने की बजाय पद से इस्तीफा दे दिया. ममता बनर्जी ने बंदोपाध्याय को तीन साल के लिए अपना निजी सलाहकार नियुक्त किया है.

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