Ground Report: गढ़मुक्तेश्वर के कार्तिक मेले में नेताओं का तांता, टिकैत बोले- 'कमल के फूल का...'

छोटा कुंभ कहे जाने वाले गढ़मुक्तेश्वर मेले में लाखों लोग कार्तिक का स्नान करने के लिए बैलगाड़ी, ट्रैक्टर ट्राली और गाड़ियों से पहुंच रहे हैं. मेले में लाखों की भीड़ देखकर सियासी नेताओं के भी हजारों बैनर पोस्टर लग गए हैं.

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मेले में किसान नेता राकेश टिकैत भी लावलश्कर समेत अपनी ताकत का प्रदर्शन करने पहुंचे
हापुड़:

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा (UP Assembly Elections 2022) चुनाव हैं. लिहाजा गढ़मुक्तेश्वर (Garhmukteshwar) के कार्तिक मेले (Karthik Mela) में जमकर राजनीति हो रही है. किसान नेता राकेश टिकैत ने भी पंचायत करके चुनाव में कमल के फूल के सफाए की बात कही. लेकिन इस बार गढ़मुक्तेश्वर के धार्मिक मेले में सियासत भी जमकर हो रही है. पढ़ें रवीश रंजन शुक्ला की ग्राउंड रिपोर्ट...

छोटा कुंभ कहे जाने वाले गढ़मुक्तेश्वर मेले में लाखों लोग कार्तिक का स्नान करने के लिए बैलगाड़ी, ट्रैक्टर ट्राली और गाड़ियों से पहुंच रहे हैं. मेले में लाखों की भीड़ देखकर सियासी नेताओं के भी हजारों बैनर पोस्टर लग गए हैं. सियाना के अलीपुर गांव से बुग्गी पर सवार होकर परिवार समेत पहुंचे 65 साल के राम रतन कहते हैं इस बार नेता ज्यादा पहुंचे हैं. पहले यहां नेता न पहुंचते थे. इस बार ज्यादा दिखें हैं.

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दरअसल, कार्तिक मेले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों लोग पहुंचते हैं. लिहाजा राजनीतिक नेताओं के तंबुओं की भरमार भी है. मेले के लाठी बाजार में लाठी खरीद रहे किसान भी इसके सियासी संकेत को खूब समझ रहे हैं. उनका कहना है कि किसान अब लाठी से नहीं बल्कि राजनीति से अपनी लड़ाई लड़ेगा जो सरकार किसानों के साथ नहीं है, उनसे सियासी लड़ाई लड़ेंगे.

गढ़मुक्तेश्वर मेले में गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत भी लावलश्कर समेत अपनी ताकत का प्रदर्शन करने पहुंचे. हजारों किसान नेताओं के साथ उनकी पंचायत यहां भी सज गई. टिकैत ने पंचायत के दौरान कहा कि इस बार कमल के फूल का सफाया करना है. इस बार भाईयो कमल की सफाई करनी है, सूबे से कमर कस लो.

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चुनाव नजदीक है लिहाजा सरकार के खिलााफ राकेश टिकैत अपने को मजबूत चुनौती के तौर पर अपने को पेश करने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते हैं. टिकैत अब 22 तारीख को लखनऊ में पंचायत करेंगे. उनका कहना है कि अगर लखनऊ की पंचायत को सरकार ने रोकने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उतरने नहीं दिया जाएगा. 

गौरतलब है कि कार्तिक मेले की धार्मिक महत्त्ता है कि महाभारत के बाद पांडवों ने मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए यहीं पर दीपदान किया था. लेकिन दो साल बाद हो रहे मेले में लोगों को लुभाने का मौका किसान नेता भी नहीं छोड़ना चाहते हैं. 

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