मल्लिकार्जुन खरगे vs घनश्याम तिवाड़ी, संस्कृत वाली 'तारीफ' पर क्यों हो गया हंगामा 

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में कहा कि उस दिन मल्लिकार्जन खरगे को लेकर जिस टोन और शब्दों का इस्तेमाल किया गया वो कहीं से भी सही नहीं थे.

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नई दिल्ली:

संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में हुई कार्यवाही के दौरान बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद घनश्याम तिवाड़ी के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लेकर की गई टिप्पणी पर हंगाम हो गया. हंगामे की शुरुआत में कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने सभापति जगदीप धनखड़  से घनश्याम तिवाड़ी के पुराने बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जो भी खरगे के बारे में कहा गया था वह बेहद आपत्तिजनक थी. हमन जब उस दौरान यह मुद्दा उठाया तो आपने कहा था कि आप इस मामले को देखेंगे.जयराम रमेश की इस बात का जवाब देते हुए सभापति धनखड़ ने कहा कि इस मामले को लेकर खरगे और तिवाड़ी से उनकी बातचीत हुई है. सभापति ने कहा कि तिवाड़ी ने जो कुछ कहा है वह संस्कृत भाषा में था. वह सिर्फ खरगे की तारीफ कर रहे थे.

उन्होंने आगे कहा कि तिवाड़ी ने उन्हें बताया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है. लेकिन फिर भी किसी को ऐसा लगता है कि उन्होंने कोई गलती की है तो वह माफी मांगने के लिए तैयार हैं. सभापति ने कहा कि बैठक के बाद उन्होंने तिवाड़ी द्वारा कहे गए एक-एक शब्द को पढ़ा है, मुझे उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा. तिवाड़ी ने मुझे बातचीत में बताया कि उन्होंने खरगे की तुलना भगवान से की थी. और जितना मैं समझ पाया हूं उसके मुताबिक तिवाड़ी ने खरगे की तारीफ ही की थी. सभापति धनखड़ के इस बयान पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि हम सिर्फ ये कहना चाह रहे हैं कि उस दिन जिस टोन में इस बात को कहा गया था वह कहीं से भी सही नहीं था. और जो शब्द कहे गए थे वो भी सही नहीं है. 

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आपको बता दें कि कुछ दिन पहले राज्यसभा में बीजेपी सासंद घनश्यान तिवाड़ी ने मल्लिकार्जुन खरगे के नाम पर टिप्पणी की थी. उनकी इस टिप्पणी से उस दौरान मिल्लकार्जुन खरगे आहत हो गए थे. उन्होंने जवाब में कहा था कि मेरे पिता ने मेरा नाम बुहत ही सोच समझकर रखा था. वहीं, सभापति जगदीप धनखड़ ने उस दौरान आश्वासन दिया था कि वह तिवाड़ी की टिप्पणी को एक बार देखेंगे जरूर. उस दौरान सभापति ने कहा था कि जैसा कि मुझे लग रहा है उनका मकसद खरगे को आहत करने का नहीं रहा होगा. 

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उस दौरान खरगे ने कहा था कि उनका नाम उनके पिता ने सोच समझकर ही रखा है. उनके पिता चाहते थे कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उनके बेटे का नाम हो. घनश्याम तिवारी को उनके नाम से क्या दिक्कत है, जो उन्होंने ऐसा बोला.उन्होंने परिवारवाद का भी आरोप लगाया, जबकि वह अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले सदस्य हैं.
 

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