- राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सरकारी और निजी स्कूलों में एक जैसी यूनिफॉर्म पहनाने का निर्णय लिया है
- सरकार ने स्कूल यूनिफॉर्म में पश्चिमी टाई पहनने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है
- यह निर्णय बच्चों में आर्थिक आधार पर हीन भावना को खत्म करने और समानता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि अब राजस्थान के सभी निजी और सरकारी स्कूलों को एक जैसी यूनिफॉर्म पहननी होगी और पश्चिमी टीवाईई की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि राजस्थान में अब स्कूल यूनिफॉर्म में नेक टाई नहीं होगी. एनडीटीवी से खास बातचीत में मंत्री ने कहा कि यह विचार उनके मन में इसलिए आया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बच्चे खुद को एक-दूसरे से कमतर समझें.
मंत्री ने कहा, “कभी-कभी कम आय वर्ग के बच्चों को लगता है कि अगर उनके माता-पिता के पास ज़्यादा पैसे होते तो वे भी निजी स्कूलों में पढ़ सकते थे. अक्सर वे खुद की तुलना इन बच्चों से करते हैं और खुद को हीन समझते हैं. इसलिए हमने अगले सत्र से सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के सभी बच्चों को एक जैसी यूनिफ़ॉर्म पहनने का फ़ैसला किया है. इससे एकरूपता आएगी और बच्चों में हीनता की भावना दूर होगी.”
मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही इस बारे में एक अधिसूचना जारी करने की योजना बना रही है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी योजना शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य स्कूल यूनिफॉर्म लागू करने की है और हिंदुत्व के सुर को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान में यूनिफॉर्म से पश्चिमी टाई पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
मदन दिलावर ने कहा “भारतीय पहनावे में टाई के लिए कोई जगह नहीं है. पैंट-शर्ट भी पूरी तरह से भारतीय नहीं है, लेकिन अब इसे स्वीकार कर लिया गया है.” एनडीटीवी से बात करने वाले कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को इसे कैबिनेट से पारित करवाना होगा. कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि शिक्षा राज्य का विषय है और शिक्षा विभाग ऐसा आदेश पारित कर सकता है, लेकिन औपचारिक आदेश जारी होने के बाद ही वे इस पर प्रतिक्रिया देंगे.
निजी स्कूल संघों ने भी कहा है कि वे सभी स्कूलों के लिए एक समान यूनिफॉर्म के फैसले पर औपचारिक सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं. जयपुर में निजी स्कूल संघों के वकील दामोदर गोयल ने कहा, "हम इस आदेश को चुनौती देंगे. छात्रों के लिए ड्रेस निर्धारित करना स्कूलों का विशेषाधिकार है और सरकार इसे अनिवार्य नहीं बना सकती."














