राजस्थान: सवाई माधोपुर सीट पर कांग्रेस, BJP और निर्दलीय के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, ऐसा है समीकरण

सवाई माधोपुर सीट पर 1972 से लेकर 2018 तक हुए चुनावों में चार बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा विजेता रही है. इसके अलावा, दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों, एक-एक बार जनता दल तथा जनता पार्टी ने जीत हासिल की.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
सवाई माधोपुर:

राजस्थान विधानसभा चुनाव में, रणथम्भौर बाघ अभयारण्य के पास स्थित इस शहर में चुनावी मुकाबले में पारिस्थितिकी या पर्यावरण के मुद्दे नहीं, बल्कि जातीय समीकरण निर्णायक हो सकते हैं. सभी की नजरें सवाई माधोपुर सीट पर है, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस के मौजूदा विधायक दानिश अबरार चुनाव मैदान में हैं.

मीणा समुदाय, मुसलमानों और गुर्जरों की अच्छी खासी तादाद वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की बागी नेता आशा मीणा ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. आशा भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट पर अबरार से हार गई थीं.

यह पूर्वी राजस्थान की महत्वपूर्ण सीट है और त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं. सवाई माधोपुर में 2,36,199 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 1,63,584 ने साल 2018 में हुए चुनाव में मतदान किया था. उस चुनाव में कांग्रेस के अबरार ने 85,655 वोट हासिल कर भाजपा की आशा को 25,000 से अधिक मतों से हराया था

.

अबरार को मुसलमानों, गुर्जरों और अन्य समुदायों से अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले थे, जबकि मीणा समुदाय के ज्यादातर मतदाताओं ने आशा मीणा को वोट दिया था. इस बार अबरार को गुर्जर वोट पाने में मुश्किल हो रही है, क्योंकि उन्होंने 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत में सचिन पायलट का साथ नहीं दिया था.

वहीं, भाजपा उम्मीदवार मीणा समुदाय के वोटों के विभाजन का सामना कर रहे हैं, क्योंकि समुदाय आशा के स्थानीय होने के कारण उनका समर्थन कर रहा है. भाजपा ने आस-पड़ोस के निर्वाचन क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए मीणा समुदाय के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा (72) को मैदान में उतारा है. इसके अलावा, आदिवासी समुदाय में भी उनका दबदबा है.

किरोड़ी लाल मीणा को 'डॉक्टर साहब' और 'बाबा' जैसे उपनामों से जाना जाता है. वह हाल में राज्य की राजनीति के केंद्र में रहे हैं, क्योंकि उनके नेतृत्व में भाजपा ने भ्रष्टाचार को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है.

ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां अक्सर उनके आरोपों पर कार्रवाई करती रही हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका हवाला देते हुए भाजपा पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.

किरोड़ी लाल ने कहा कि गहलोत के इशारे पर साजिश के तहत बागी उम्मीदवार खड़ा किया गया है. उन्होंने दावा किया कि इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि आदिवासी समुदाय मजबूती से उनके साथ खड़ा है.

Advertisement

त्रिकोणीय मुकाबले में कांटे की टक्कर होने का अंदाजा लोगों की प्रतिक्रियाओं से लगाया जा सकता है. कई लोगों ने अभी तय नहीं किया है कि वे किसे वोट देंगे. जबकि अपनी पसंद बताने वाले लोगों ने अपने-अपने उम्मीदवार की जीत का दावा किया.

शहर के मध्य में एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक धरम सिंह राजावत ने कहा, "डॉ. साहब स्पष्ट रूप से विजेता होंगे. यह उनका आखिरी चुनाव है और इससे लोगों में उत्साह है. वह मीणा समुदाय के लोगों के लिए एक मसीहा हैं. आशा मीणा कुछ वोटों को विभाजित करेंगी, लेकिन किरोड़ी लाल जी जीत हासिल करेंगे क्योंकि ब्राह्मण जैसे अन्य समुदाय और भाजपा के पारंपरिक मतदाता उनके साथ हैं."

Advertisement

टैक्सी चालक पुखराज मीणा ने इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा सांसद काफी अनुभवी हैं और उन्हें मीणा समुदाय का समर्थन प्राप्त है, जबकि आशा उनके वोटों में सेंध लगा सकती हैं, लेकिन कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डाल पाएंगी. कई लोगों ने बताया कि आशा का इलाके में काफी दबदबा है और वह मजबूत चुनौती पेश कर रही हैं.

पान की दुकान चलाने वाले पवन मीणा ने कहा, “वह निश्चित रूप से काफी वोट हासिल करेंगी. यहां करीबी मुकाबला है और सभी तीन उम्मीदवारों के पास मौका है. मौजूदा कांग्रेस विधायक ने भी अच्छा काम किया है, वह भी दोबारा जीत सकते हैं.” ऐसा प्रतीत होता है कि मुसलमान कमोबेश अबरार के पक्ष में हैं.

एक ऑटो रिक्शा चालक ने कहा, “दानिश ने बहुत काम किया है. मुसलमान और कई अनुसूचित जातियों के लोग भी उनका समर्थन कर रहे हैं. विकास कार्य हुए हैं.”

Advertisement

कई स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा विधायक ने विकास कार्य किए हैं, लेकिन चुनाव के दौरान जातिगत समीकरण मायने रखते हैं. यहां राजनीतिक हलचल स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है और तीनों उम्मीदवार मजबूत दिख रहे हैं.

इस सीट पर 1972 से लेकर 2018 तक हुए चुनावों में चार बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा विजेता रही है. इसके अलावा, दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों, एक-एक बार जनता दल तथा जनता पार्टी ने जीत हासिल की. राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम तीन दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Child Marriage Free India: Uttarakhand के CM Pushkar Singh Dhami बाल विवाह के खिलाफ खड़े हैं