राजस्थान में अवैध खनन के विरोध में संत के आत्मदाह के मामले में बीजेपी की समिति ने जेपी नड्डा को सौंपी रिपोर्ट

भरतपुर के डीग कस्बे में खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर पिछले 500 से अधिक दिन से साधु भरतपुर के पासोपा गांव में आंदोलन कर रहे हैं.बुधवार को आंदोलन के दौरान दास ने आत्मदाह कर लिया था.

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बीजेपी की समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी

राजस्थान के भरतपुर में अवैध रूप से पहाड़ियों के खनन को बंद करने के विरोध में एक संत के आत्मदाह करने के लिए बीजेपी की उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दी है. संत विजयदास के नेतृत्व में पिछले 551 दिनों से धरना और आंदोलन चल रहा था. प्रदेश सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण 20 जुलाई 2022 को संत विजयदास ने आत्मदाह किया और  23 जुलाई को उनकी मौत हो गई. 

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस घटना एवं संत विजयदास की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए इस संबंध में पार्टी की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया. समिति भरतपुर जाकर घटनास्थल का दौरा करके जानकारी इक्टठी करेगी और रिपोर्ट सौंपेगे. बयान के अनुसार, समिति में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सुमेधानंद सरस्वती, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल यादव को शामिल किया गया है.

डीग कस्बे में खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर पिछले 500 से अधिक दिन से साधु भरतपुर के पासोपा गांव में आंदोलन कर रहे हैं.बुधवार को आंदोलन के दौरान दास ने आत्मदाह कर लिया था.

कांग्रेस शासित राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस क्षेत्र को वन भूमि घोषित करने की अधिसूचना जारी करेगी. इसका मतलब है कि खदानों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा क्योंकि वे अधिसूचित वन क्षेत्र में काम नहीं कर सकती हैं. हालांकि, सरकार ने कहा कि चालू खदानें कानूनी रूप से काम कर रही हैं. सरकार ने कहा कि अगर इन इकाइयों को बंद कर दिया गया तो करीब 2,500 लोगों की नौकरी चली जाएगी.

सरकार द्वारा पुरानी खदानों को बंद करने के आश्वासन के बाद साधुओं ने अपना धरना समाप्त कर दिया है. लंबे समय से साधुओं की मांगों को नहीं सुनने को लेकर विपक्षी भाजपा ने अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि राज्य सरकार ने अवैध खनन को रोकने के लिए संतों और संतों की मांग नहीं सुनी. एक संत का आत्मदाह इसी का नतीजा है.

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