राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए आज न्यूनतम आय गारंटी बिल पारित किया. गहलोत सरकार ने बेरोजगारों के लिए न्यूनतम गारंटीशुदा आय (मिनिमम गारंटीड इनकम) बिल शुक्रवार को सदन में पेश किया. इसे विधानसभा में चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. अशोक गहलोत सरकार के इस बिल को राजस्थान में चुनाव से पहले उनका मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस बिल के जरिए सीएम गहलोत ने युवा बेरोजगारों तक पहुंचने की कोशिश की है.
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करके कहा कि, न्यूनतम आय की गारंटी के अधिकार वाला पहला व अकेला राज्य बन रहा राजस्थान.
राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी बिल 2023 के जरिए अस्तित्व में आए कानून के दायर में लाभार्थी की न्यूनतम आयु 18 साल तक रखी गई है. न्यूनतम आय गारंटी अधिनियम के तहत अगर बेरोजगार लोगों को 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलता है तो उन्हें सरकार की तरफ से बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. इस अधिनियम के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 18 साल और इससे ऊपर के लोगों को न्यूनतम मजदूरी करने का अधिकार मिलेगा.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को कहा था कि हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी है और राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए प्रदेशवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम गारंटीशुदा आय बिल इस दिशा में राज्य सरकार का एक और महत्वपूर्ण कदम है.
इससे पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि,‘‘आमजन को न्यूनतम आय और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में कमी नहीं रखी जाएगी. सामाजिक सुरक्षा पेंशन और रोजगार गारंटी को लेकर हम कानून बनाएंगे. इससे प्रतिमाह न्यूनतम पेंशन राशि सहित हर वर्ष 15 प्रतिशत बढ़ोतरी सुनिश्चित की जाएगी. महात्मा गांधी नरेगा योजना और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत राजस्थान में हम न्यूनतम 125 दिन का रोजगार सुनिश्चित करेंगे.''
मुख्यमंत्री ने कहा था कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन राजस्थान सरकार के सामाजिक सुरक्षा मॉडल का प्रमुख अंग है. उन्होंने कहा था कि, ‘‘पेंशन आपका मान-सम्मान है, इसलिए राज्य सरकार सामाजिक और आर्थिक सम्बल प्रदान करने के हरसंभव प्रयास कर रही है.''