अशोक गहलोत के साथ खड़ी नजर आ रही कांग्रेस आलाकमान, क्‍या बगावत करेंगे सचिन पालयट...?

राजस्‍थान में कांग्रेस पार्टी में फिर उठापटक शुरू हो गई है. सचिन पायलट ने एक बार फिर CM अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पायलट आज राजस्थान में भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठने जा रहे हैं.

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नई दिल्‍ली:

राजस्थान में चल रही खींचतान के बाद अब कांग्रेस में हलचल है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, ये ख़बर मिल रही है कि पार्टी सचिन पायलट के इस कदम से नाराज़ है. पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़ी नज़र आ रही है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया जाता है. एक बड़ी बात ये भी है कि चुनाव से पहले कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. पंजाब में जो स्थिति पैदा हुई थी, उसे कांग्रेस दोहराना नहीं चाहती और आख़िरी में मुख्यमंत्री बदलने जैसा ख़तरा नहीं उठाना चाहती, लेकिन ये साफ़ है कि अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ अनशन पर जाने के फ़ैसले से पार्टी में नाराज़गी है.

मौजूद स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाईकमान अशोक गहलोत के ही समर्थन में खड़ी है, ऐसे में राजस्‍थान कांग्रेस में गुटबाजी और बढ़ेगी. इस बीच कुछ और विधायक सचिन पायलट के समर्थन में आ सकते हैं. ऐसे में पार्टी की छवि चुनावों से पहले खराब हो सकती है. कांग्रेस के सामने ये एक नई चुनौती है. राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव अब सिर्फ 8 महीने दूर हैं, और अगर ये मोर्चा बगावत का रूप ले लेता है, तो राजस्‍थान की राजनीति में कई और मोड़ और विकल्‍प सामने आ सकते हैं.

राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है. सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचारों पर कार्रवाई न करने को लेकर गहलोत पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वसुंधरा सरकार में हुए खनन घोटाले, ललित मोदी केस की न जांच हुई और न ही कार्रवाई. मैंने गहलोत को दो बार चिट्ठी लिखी लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. इसलिए पार्टी की साख बचाने के लिए मैं 11 अप्रैल को अनशन करूंगा.

कांग्रेस नेता राशिद अल्‍वी ने कहा कि पिछले काफी समय से राजस्‍थान में उथल-पुथल चल रही है. इस मामले में कांग्रेस आलाकमान को जल्‍द से जल्‍द फैसला करना चाहिए. अगर इसी तरह चलता रहा, तो आने वाले चुनावों में इसका बहुत बुरा असर होगा. इस समय हो हालात हैं, उसमें हमें भाजपा से लड़ना आपस में नहीं लड़ना है. अब हाईकमान को इस मसले का जल्‍द से जल्‍द हल निकालना चाहिए. 

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