वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आज संसद में केंद्रीय बजट पेश करने के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके बारे में बात करते हुए कहा कि मेरे तीनों मंत्रालय में एक प्रोग्रेसिव सोच के साथ चीजों को रखा गया है. उन्होंने कहा कि बजट में रेलवे को 1 लाख 37 हजार करोड़ रुपए का कैपिटल निवेश का सहयोग दिया गया है. इससे कई सालों से अटकी रेलवे की परियोजनाओं को दोबारा शुरू करने में मदद मिलेगी. रेल मंत्री ने कहा कि फिलहाल वंदे भारत ट्रेन का पहला वर्जन पटरियों पर दौड़ रहा है, जल्द ही इसका दूसरा वर्जन भी देश के सामने होगा. इसका उत्पादन अभी हो रहा है. जल्द ही इसकी टेस्टिंग भी होगी. अगस्त सितंबर से फैक्ट्री से हर महीने 7-8 ट्रेनें निकलती नजर आएंगी. आने वाले तीन सालों में 400 वंदे भारत ट्रेनें चलाए जाने की योजना है.
उन्होंने आगे कहा दुनियाभर में केवल आठ देश ही हैं जिन्होंने 180km प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेन डिजाइन की है. हमारी वंदे भारत एक्सप्रेस इसी रफ्तार पर चलती है. जब उनसे पूछा गया कि वंदे भारत में सफर करना मंहगा हो जाएगा, तो उन्होंने कहा— साढ़े आठ सौ करोड़ यात्री साल रेलवे से सफर करते हैं. हर सेगमेंट के लोग चढ़ते हैं, तो नई चीजें तो देनी होंगी. अगर वंदे भारत प्रीमियम कैटेगरी की होती तो ऑक्यूपेंसी कम होती. फिलहाल दोनों वंदे भारत ट्रेनों की ऑक्यूपेंसी 95% है.
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वहीं बुलट ट्रेन के बारे में उन्होंने कहा कि फिलहाल 5 km प्रति महीने पिलर बना रहे हैं, लेकिन इसे 10km तक हर महीने लेकर जाना है. काम कल रहा है. ये सरकार काम करने वाली है. वहीं ट्रेन में बेडिंग की सेवा फिर से शुरू करने पर उन्होंने कहा कि यह सेवा कुछ वक्त में चालू हो जाएगी. गौरतलब है कि Omicron की वजह से इसे टाला गया था.
RRB Exam विवाद के बारे में बात करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि अभी तक एक लाख से ज्यादा छात्रों के रिप्रेजेंटेशन आए हैं. उन्होंने कहा कि मैंने भी ट्रेन में पेपर बिछाकर स्लीपर में सफर किया है. मुझे एहसास है छात्रों की परेशानी का.
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टेलीकॉम सेक्टर के बारे में वैष्णव ने कहा, R&D में पैसा खर्च किया जाएगा. हम आयात नहीं..निर्यात करने वाले बनेंगे. भविष्य में हजारों लाखों रोजगार सृजित करने वाली सोच है.
वहीं आईटी सेक्टर के बारे में उन्होंने कहा, डिजिटल इंडिया के मिशन को लेकर सोच की वजह से आम आदमी की जिंदगी में परिवर्तन आया है. इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग साढ़े 5 लाख करोड़ तक पहुंच गई है. पहले हम ऐसा सोच भी नहीं सकते थे.
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