कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मत्स्य पालन के लिए अलग मंत्रालय की मांग की है. मत्स्य पालन (fisheries) की अपनी मांग के लिए कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की आलोचना झेलने वाले राहुल ने गुरुवार को ट्वीट करके कहा-मत्स्यपालन के लिए अलग से मंत्रालय होना चाहिए. कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में लिखा-मछुआरों को एक स्वतंत्र और समर्पित मत्स्य पालन मंत्रालय का आवश्यकता है न कि एक मंत्रालय के भीतर एक विभाग की. गौरतलब है कि राहुल इस समय केरल राज्य के दौरे पर हैं और वहां मछुआरों के साथ समय गुजार रहे हैं.
मछुआरों के जीवन को करीब से देखने-समझने के लिए बुधवार को उन्होंने मछुआरों के साथ समंदर में डुबकी लगाई थी. इससे पहले नौका में सवार होकर वो केरल के कोल्लम तट पर समुद्र में गए और जब मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए जाल डाला तो वह भी बाकी मछुआरों के साथ पानी में उतर गए. थे उन्होंने भी मछुआरों संग मछलियां पकड़ीं. राहुल तट पर पहुंचने से पहले करीब 10 मिनट तक मछुआरों संग तैरते रहे.
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गौरतलब है कि राहुल ने इसी माह पुडुचेरी के अपने संबोधन में किसान आंदोलन और मछुआरों का जिक्र करते हुए कहा था, 'सरकार ने देश की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों के खिलाफ तीन कानून पास किए हैं. आपको हैरानी होगी कि मैं यहां मछुआरों के बीच किसानों की बात क्यों कर रहा हूं क्योंकि मैं आपको (मछुआरों को) 'समुद्र का किसान' मानता हूं.' राहुल ने कहा था कि अगर जमीन के किसानों के लिए मंत्रालय हो सकता है तो 'समुद्र का किसानों' के लिए क्यों नहीं हो सकता. राहुल के इस बयान पर केंद्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह को उन पर निशाना साधा था.
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गिरिराज ने ट्वीट किया था, 'राहुल जी! आपको इतना तो पता ही होना चाहिए कि 31 मई, 2019 को ही मोदी जी ने नया मंत्रालय बना दिया और 20050 करोड़ रुपए की महायोजना (PMMSY) शुरू की जो आज़ादी से लेकर 2014 के केन्द्र सरकार के खर्च (3682 करोड़) से कई गुना ज़्यादा है.' एक अन्य ट्वीट में केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने लिखा था, ' राहुल जी!मेरा आपसे अनुरोध है कि आप नए मत्स्य पालन मंत्रालय में आएं या मुझे जहां बुलाएं,मैं आ जाता हूं. मैं आपको नए फ़िशरी मंत्रालय के द्वारा पूरे देश तथा पुडुचेरी में चलाए जा रहे योजनाओं के बारे में बताता हूं. इसके साथ ही गिरिराज ने इटेलियन में भी एक ट्वीट किया था जिसका आशय था-इटली में मत्स्य पालन के लिए अलग से मंत्रालय नहीं है. यह कृषि मंत्रालय और वन नीतियों के अधीन आता है.