कांग्रेस (Congress) के हाल ही में संपन्न चिंतन शिविर को पार्टी में सुधार और पुनरूत्थान की कवायद करार देते हुए वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बुधवार को कहा कि कई पार्टी नेताओं की इच्छाओं के अनुरूप इस ‘प्रक्रिया' के परिणामों को देखना अभी बाकी है. पार्टी के ‘जी 23' के सदस्य थरूर ने यह भी कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के ज्यादातर कार्यकर्ताओं की पहली पसंद है, हालांकि उन्होंने (राहुल) इस जिम्मेदारी को ग्रहण करने का संकेत नहीं दिया है. उनका कहना है कि पार्टी में ‘सुधारवादी' लोग चाहते थे कि विचार-विमर्श की प्रक्रिया का विस्तार हो जहां कोई निर्णय किए जाने से पहले व्यापक स्तर पर लोगों की बात सुनी जाए
उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रस्तावित सलाहकार समूह में इस तरह की चर्चा होती है तो मकसद पूरा हो जाएगा. ''हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आगे देखना होगा कि क्या होता है. थरूर ने कहा, ‘‘संसदीय बोर्ड को फिर से बनाने और कार्य समिति का चुनाव कराने जैसे प्रस्तावों का मकसद नयी आवाज को सामने लाना था. इस तरह की चर्चा के बाद आखिरी निर्णय हमेशा नेतृत्व का ही होता है. '' उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति के कुछ नेताओं को लेकर एक सलाहकार समूह बनाया जाएगा, हालांकि यह सामूहिक निर्णय लेने वाला समूह नहीं होगा.
थरूर ने चिंतन शिविर में हुई चर्चा के बारे में कहा, ‘‘बदलावों की चर्चा के बीच रचनात्मक रूप से गंभीर मंथन हुआ है. लेकिन यह देखना होगा कि क्या उस अंजाम तक पहुंचेगा जो हम में से कई लोग देखना चाहते हैं. ''उन्होंने यह भी कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी ही ज्यादातर कार्यकर्ताओं की पहली पसंद होंगे. उन्होंने इस बात का संकेत नहीं दिया कि वह इस पद पर आसीन होना चाहते हैं. ''कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें इसका इंतजार करना चाहिए कि आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के मुद्दे का समाधान करेगी. ''
चिंतन शिविर के दौरान ‘सॉफ्ट हिदुत्व' पर हुई चर्चा के बारे में थरूर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भारत के बहुलवाद और विविधता के प्रति कांग्रेस की बुनियादी प्रतिबद्धता को लेकर कोई बहस नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं है कि उसके सदस्य सभी धर्मों का सम्मान करें. ''
थरूर ने कहा, ‘‘ हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है और इसका धर्म या हिंदू आस्था से बहुमत कम लेना देना है. यह एक सिद्धांत है जो एक विशेष सांस्कृतिक पहचान की सर्वोच्चता का प्रचार करता है . यह उस प्रमुख हिंदू सिद्धांत का उल्लंघन है जो हमें भिन्नता को स्वीकारना सिखाता है. ''उन्होंने कहा कि इस तरह की बहुसंख्यकवादी राजनीति कांग्रेस के लिए अपरिचित है.