राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर तृणमूल कांग्रेस में उठने लगे सवाल

अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है. मंगलवार को विपक्षी दल बीजेपी और वाम-कांग्रेस गठबंधन ने अलग-अलग बैठक कर चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की.

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प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
कोलकाता:

अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है. मंगलवार को विपक्षी दल बीजेपी और वाम-कांग्रेस गठबंधन ने अलग-अलग बैठक कर चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की.वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव में रणनीति बनाने का कार्य प्रशांत किशोर द्वारा किया जा रहा है. लेकिन इन सब के बीच तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायकों की तरफ  से प्रशांत किशोर को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है. उनकी तरफ से प्रशांत किशोर को लेकर सवाल खड़े किये जाने लगे हैं.

इस बात को उस घटना के बाद से बल मिलने लगा है जिसमें तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी के भविष्य के कदमों के बारे में जारी अटकलों के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी सरकार में कैबिनेट मंत्री के पूर्वी मिदनापुर स्थित आवास पर जाकर उनके पिता और पार्टी सांसद शिशिर अधिकारी से मुलाकात की थी.इधर दिल्ली से आए बीजेपी नेताओं ने भी अपनी पार्टी को लेकर रणनीति बनाना शुरु कर दिया है.बंगाल को पांच क्षेत्रों में विभाजित किया गया, जिसमें पार्टी के एक केंद्रीय नेता को प्रत्येक के प्रभारी के रूप में रखा गया है.

पार्टी आलाकमान ने राज्य में पांच संगठन क्षेत्रों के प्रभारी के तौर पर सुनील देवधर, विनोद तावड़े, दुष्यंत गौतम, हरीश द्विवेदी और विनोद सोनकर का चयन किया है.  पार्टी ने राज्य को संगठन की दृष्टि से उत्तरी बंगाल, राढ़ बंग (दक्षिण पश्चिमी जिले), नवद्वीप, मेदिनीपुर और कोलकाता- इन पांच क्षेत्रों में विभाजित किया है. कोलकाता में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की गई. साथ ही पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को बंगाल चुनाव में लाने की तैयारी चल रही है.

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इधर बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा है कि कम से कम हम पार्टी को बढ़ावा देने के लिए किराए के लोगों का उपयोग नहीं करते हैं. हमारे लोग पार्टी कार्यकर्ता हैं जो चुनाव के लिए बंगाल आ रहे हैं.हालांकि इन सब से अलग तृणमूल सांसद सौगता रॉय ने कहा कि अमित शाह का लक्ष्य एक दिवास्वप्न है और कभी पूरा नहीं होगा.लेकिन बीजेपी की तैयारी के बाद मुर्शिदाबाद जिले के तृणमूल विधायक नियामत शेख ने कहा, "क्या हमें पीके से राजनीति सीखनी है? पीके कौन है? अगर तृणमूल बंगाल में कमजोर होती है, तो यह सब पीके की गलती होगी."

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बताते चले कि कूच बिहार के विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी अपनी नाराजगी प्रशांत किशोर को लेकर व्यक्त की थी और छह सप्ताह पहले पार्टी में सभी संगठनात्मक पदों को छोड़ दिया था. गोस्वामी ने आज सोशल मीडिया पर सवाल पोस्ट किया, जिनमें लिखा था, "क्या तृणमूल अभी भी ममता बनर्जी की पार्टी है?"

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उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि पार्टी को एक ठेकेदार को सौंपा जा रहा है.IPAC जैसा एक कॉर्पोरेट संगठन आदेश या पार्टी संगठनात्मक मामलों और मेरे जैसे अनुभवी राजनीतिज्ञ को आज्ञा देना होगा, यह दर्दनाक है," उन्होंने कहा.आज, कूच बिहार जिले के सीताई के एक और विधायक ने भी IPAC को लेकर सवाल खड़े किये हैं. 

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