पंजाब (Punjab) में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी (Shiromani Akali Dal-BJP) शासन के दौरान हुए बिजली खरीद समझौतों का मुकाबला करने के लिए मौजूदा सरकार जल्द नई रणनीति तैयार करेगी. इस मसले पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने कहा है कि बिजली खरीद समझौतों (Akali Power Deals) की समीक्षा की जा रही है और सरकार जल्द ही अपनी कानूनी रणनीति की घोषणा करेगी. पंजाब में भारी बिजली संकट (Punjab Power Crisis) एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. आम आदमी पार्टी ने इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियान में प्रमुखता से शामिल किया है.
पंजाब के बिजली संकट पर मुख्यमंत्री अमरिंद सिंह ने पिछली सरकार को दोषी ठहराया है. उन्होंने पिछली सरकार निशाना साधेत हुए कहा कि बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर कर अकाली दल और बीजेपी ने राज्य को अनावश्यक वित्तीय बोझ में डाल दिया है. उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि ट्रांसमिशन सिस्टम चरमरा गया था, जिससे स्थिति और खराब हो गई. अमरिंदर सिंह पंजाब में बिजली मंत्रालय के प्रभारी भी हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति को जल्द से जल्द आसान बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. पिछले चार वर्षों में राज्य में बिजली वितरण प्रणाली में काफी सुधार हुआ है. दो लाख नए वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं, जिससे कुल आंकड़ा 11.50 लाख हो गया है. उन्होंने कहा कि आपूर्ति को स्थिर रखने के लिए सब-स्टेशनों पर ट्रांसफॉर्मर भी लगाए गए हैं. शनिवार को अकाली दल ने कांग्रेस के बागी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बिजली बिलों का भुगतान न करने की खबरों को लेकर अमरिंदर सिंह पर तंज कसा था.
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अकाली दल ने ट्वीट किया था, ''कप्तान साहब, अगर आपके पास पंजाब की जनता को बिजली संकट से परेशान करने के बाद कुछ समय बचता है, तो कृपया उस मंत्री पर ध्यान दें, जिसके लाखों रुपये के बिजली बिल लंबित हैं. और उन पर अपना आशीर्वाद बरसाएं.'' रिकॉर्ड के मुताबिक नवजोत सिद्धू पर पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन का 8,67,540 रुपये बकाया है.
बिजली संकट को देखते हुए पंजाब सरकार ने गुरुवार को राज्य के सरकारी कार्यालयों के समय में कटौती की और उच्च ऊर्जा खपत वाले उद्योगों को बिजली की आपूर्ति में कटौती की थी.