प्रियंका गांधी : लोकसभा चुनाव लड़ने वाली परिवार की 10वीं सदस्‍य, जानिए वायनाड से चुनाव मैदान में उतारने की क्‍या है मजबूरी

प्रियंका गांधी वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. आइए जानते हैं कि क्‍या है प्रियंका गांधी का अब तक का सियासी सफर और उन्‍हें वायनाड से आखिर क्‍यों उतारा जा रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्‍ली :

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) साल 2019 से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन वह पहली बार लोकसभा उपचुनाव के जरिए चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं. कांग्रेस ने उन्‍हें वायनाड सीट से चुनाव लड़वाने का ऐलान किया है. प्रियंका गांधी को लेकर समय-समय पर अमेठी तो कभी रायबरेली और यहां तक की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने की अटकलें लगाई जाती रही हैं. हालांकि ऐसी सारी अटकलों को दरकिनार कर प्रियंका गांधी वायनाड से लोकसभा का सफर तय करने की कोशिश करेंगी. कांग्रेस ने सोमवार को फैसला किया कि राहुल गांधी वायनाड से इस्‍तीफा देंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे. 

प्रियंका गांधी ने सोमवार को (वायनाड से) अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कहा, 'मुझे जरा भी घबराहट नहीं है... मैं बहुत खुश हूं कि मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा. मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि मैं उन्हें (वायनाड की जनता) उनकी (राहुल की) अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी... मेरा रायबरेली से अच्छा नाता है, क्योंकि मैंने वहां 20 साल तक काम किया है और यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा.'

गांधी परिवार की 10वीं सदस्‍य 

प्रियंका गांधी अपने परिवार की 10वीं सदस्‍य हैं, जो लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी का चुनावी राजनीति में आना तय माना जा रहा था. बस इंतजार था कि प्रियंका किस सीट से चुनाव मैदान में उतरती हैं.

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक उनके परिवार का सत्ता और राजनीति से बेहद करीबी रिश्‍ता रहा है. उनके परिवार में लोकसभा चुनाव लड़ने वालों में पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, संजय गांधी, मेनका गांधी, राहुल गांधी और वरुण गांधी शामिल हैं.  

Advertisement

ये है प्रियंका गांधी का सियासी सफर 

प्रियंका गांधी ने लंबे समय तक सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए रखी. एक वक्‍त तक उन्‍हें रायबरेली में सोनिया गांधी और अमेठी में भाई राहुल गांधी के लिए प्रचार करते वक्‍त ही देख जाता रहा. हालांकि प्रियंका गांधी की राजनीति में औपचारिक एंट्री 2019 में उस वक्‍त हुई जब उन्‍हें पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए पार्टी का महासचिव नियुक्‍त किया गया. सितंबर 2020 में उन्‍हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया. पिछले कुछ सालों के दौरान प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में काफी सक्रिय रही हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 उन्‍हीं के नेतृत्‍व में लड़ा गया. महिलाओं और लड़कियों के वोटों पर पकड़ मजबूत करने के लिए उन्‍होंने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान का आगाज किया. इस सक्रियता के बावजूद चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीट मिलीं. लेकिन प्रियंका ने जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के अपने प्रयास जारी रखे. 

Advertisement

दिसंबर 2023 में प्रियंका गांधी को ‘‘बिना पोर्टफोलियो'' के महासचिव बनाया गया और वह कांग्रेस की प्रमुख रणनीतिकार और बाद में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्टार प्रचारक के रूप में उभरीं.

Advertisement

उन्होंने संगठन को मजबूत करने में भी मदद की और हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया और राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की. उनके प्रचार अभियान ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट जीतने में मदद की. वहीं, 2019 में यह आंकड़ा 52 था. 

Advertisement

वायनाड के लिए प्रियंका गांधी ही क्‍यों?

प्रियंका गांधी जब अपना चुनावी डेब्‍यू करने जा रही है तो सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्‍यों उन्‍हें वायनाड से उतारा जा रहा है. दरअसल, दक्षिण में भाजपा लगातार अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. ऐसे में राहुल गांधी का वायनाड सीट छोड़ना और अन्‍य को वहां से उतारने पर गलत संदेश जाता. यही कारण है कि प्रियंका गांधी को दक्षिण की इस सीट से उपचुनाव में उतारा जा रहा है. दूसरी ओर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पिछले तीन लोकसभा चुनावों में से सबसे अच्‍छा प्रदर्शन 2024 में ही किया है. ऐसे में जो जमीन प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में तैयार की है, उस जमीन पर राहुल गांधी पांव जमाकर आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की उम्‍मीद कर सकते हैं. राहुल गांधी के लिए रायबरेली छोड़ना भी मुनासिब नहीं समझा गया. 

जीत मिली तो सोनिया, राहुल के साथ संसद में होंगी 

यदि प्रियंका गांधी लोकसभा उपचुनाव जीत जाती हैं, तो यह पहली बार होगा कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों एक साथ संसद में होंगे. सोनिया गांधी फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं.

लोकसभा चुनाव में रही है अहम भूमिका 

'24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस' सहित कई किताबें लिखने वाले रशीद किदवई ने कहा, ‘‘कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनाव में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मोदी को जवाब दिया है, वह आश्चर्यजनक विकल्प के तौर पर उभरी हैं. प्रियंका गांधी ने दिखाया कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और उन्होंने पूरे भारत में कांग्रेस के लिये चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.'

लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया' गठबंधन ने 543 में से 234 सीट जीतीं, जबकि 99 सीट जीतकर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस चुनाव अभियान में जोरदार वापसी करती दिखी और प्रियंका ने भाजपा नेताओं के लगातार हमलों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभायी. 

उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में 108 जनसभाएं और रोड  किये. उन्होंने 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में प्रचार किया और अमेठी और रायबरेली में कार्यकर्ताओं के दो सम्मेलनों को भी संबोधित किया. 

उनके अधिकांश भाषण भीड़ से संवाद करने जैसे थे, जो लोगों से जुड़ाव स्थापित करते थे और लोगों को यह आभास देते थे कि यह कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे वे जानते हैं, कोई ऐसा है, जो उनके साथ अपनी भावनाओं और विचारों को साझा कर रहा है. 

ये भी पढ़ें :

* राहुल गांधी रायबरेली से बने रहेंगे सांसद, वायनाड सीट पर प्रियंका गांधी लड़ेंगी चुनाव
* सरकार सिस्‍टम में किसको बचाना चाहती है? : नीट विवाद पर प्रियंका गांधी का शिक्षा मंत्री से सवाल
* "अवध ने पूरे देश को दिया संदेश" : लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर कांग्रेस की 'आभार सभा' में प्रियंका गांधी


 

Featured Video Of The Day
Assembly Elections के लिए फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही Congress, Candidates पर गहन मंथन.
Topics mentioned in this article