"विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली गायब हो गई है": उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का विपक्ष पर कटाक्ष

एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वंशवाद पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते थे कि वे कानून कानून से ऊपर हैं, दूसरों से अलग हैं, उन्हें अपने दर्द का एहसास हो गया है.

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नई दिल्ली:

विपक्ष और वंशवादी राजनीति पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य तब खिलते हैं, जब कानून के समक्ष समानता होती है और जहां कोई संरक्षण, पक्षपात या भाई-भतीजावाद नहीं होता है. एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स समारोह में धनखड़ ने कहा, "लोकतांत्रिक मूल्य तब बेहतर रूप से खिलते और फलते-फूलते हैं, जब कानून के समक्ष समानता होती है और जब पारदर्शी और जवाबदेह शासन होता है, और जहां संरक्षण, पक्षपात और भाई-भतीजावाद के लिए कोई जगह नहीं होती है."

जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक समय था जब ये तीन हानिकारक प्रवृत्तियां हमारे कामकाज पर हावी थीं, लेकिन वह अब अतीत की बात है. उन्होंने जोर देकर कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली गायब हो गईं हैं और जो लोग सोचते थे कि वे दूसरों की तुलना में श्रेष्ठ हैं, उन्हें अपने दर्द का एहसास हो गया है.

उपराष्ट्रपति ने कहा, "विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली गायब हो गईं है. कानून के समक्ष समानता दीवार पर लिखी इबारत है. जो लोग सोचते थे कि वे कानून कानून से ऊपर हैं, दूसरों से अलग हैं, उन्हें अपने दर्द का एहसास हो गया है. इससे बड़ा दर्द क्या हो सकता है लोकतंत्र में?

जगदीप धनखड़ ने कहा कि युवाओं का यह अहसास कि कुछ लोग उनसे महान हैं और उन्हें अधिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं, वह व्यवस्था चली गई है. इस प्रक्रिया में युवाओं का मनोबल बढ़ा है. ये टिप्पणियां ऐसे समय में महत्वपूर्ण हैं, जब देश के राजनीतिक विमर्श में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के बीच परिवारवाद या वंशवाद की राजनीति पर तीखी बहस देखी जा रही है.