महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को बताया कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में भर्ती संबंधी परीक्षा आयोजित करने का काम एक निजी कंपनी को सौंपा गया है. उन्होंने बताया कि न्यासा कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को उस पर लगे आरोपों के मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा बरी किए जाने और विभिन्न पैमानों पर उसके खरे उतरने के बाद उसके साथ इस संबंध में करार किया गया है. राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी गई.
गुजरात: प्रश्न पत्र लीक होने के चलते वरिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा रद्द
इससे पहले मंत्री टोपे ने कहा था कि स्वास्थ्य विभाग के ‘सी' और ‘डी' वर्ग के लिए इस साल सितंबर में होने वाली परीक्षा, इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार कंपनी की ऐसा करने में असमर्थता के बाद स्थगित कर दी गई थी. इसके बाद ‘सी' और ‘डी' वर्ग के लिए 30 अक्टूबर को परीक्षा होनी थी, लेकिन प्रश्न पत्र लीक हो गया. इस मामले में 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
उन्होंने बुधवार को कहा कि न्यासा कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड' को इसलिए चुना गया, क्योंकि उसने पहले बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया था और सुनवाई के बाद कंपनी को आरोपों से मुक्त कर दिया था. महाराष्ट्र सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को इस कंपनी को अपनी अंतिम सूची के लिए चुनना पड़ा, क्योंकि यह अन्य पैमानों पर खरी उतर रही थी. जीएडी के निर्णय के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने परीक्षा आयोजित कराने के लिए उसकी बोली पर विचार किया.
4 और 5 जनवरी को होगी फेज -3 की परीक्षाएं, जानें किस दिन होगा कौन सा एग्जाम
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने जीएडी द्वारा छांटी गई पांच कंपनियों के लिए परीक्षा आयोजित की थी और न्यासा को 100 में से 90 अंक मिले. ये सर्वाधिक अंक थे, इसलिए कंपनी का चयन किया गया. परीक्षा पत्र लीक होने संबंधी मामले से जुड़े कुछ कथित दृश्य-श्रव्य क्लिप पर दारेकर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक अन्य नेता गोपीचंद पडलकर के सवालों के जवाब में टोपे ने कहा कि साइबर अपराध विभाग इसकी जांच कर रहा है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने एक शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है. जांच पूरी हो जाने के बाद हम भर्ती के संबंध में फैसला कर सकते हैं. यदि प्रश्न पत्र लीक मामले के कारण राज्य को परीक्षा फिर से आयोजित करानी पड़ती है तो हम उम्मीदवारों से परीक्षा के लिए शुल्क का भुगतान करने को नहीं कहेंगे. वे जो शुल्क पहले दे चुके हैं, उसे अगली परीक्षा के लिए भी मान्य माना जाएगा.
संसद का शीतकालीन सत्र खत्म: निलंबित सांसदों ने पढ़ी संविधान की प्रस्तावना, मांगा न्याय