"कोरोना महामारी में भी किसानों को परेशानी नहीं होने दी": PM के संसद में संबोधन की बड़ी बातें 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का लोकसभा में जवाब दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना की महामारी के दौर में भी किसानों को परेशानी नहीं होने दी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का लोकसभा में जवाब दिया.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का लोकसभा में जवाब दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना की महामारी के दौर में भी किसानों को परेशानी नहीं होने दी. पीएम मोदी ने बजट सत्र के दौरान ये बात कहीं. पीएम ने कहा कि कोरोना काल की चुनौतियों के बाद विश्व में एक नई व्यवस्था बनती दिख रही है. उन्होंने महामारी की पहली लहर के दौरान प्रवासी श्रमिकों को शहरों को छोड़ने के लिए उकसाकर कोविड फैलाने का आरोप लगाते हुए विपक्ष पर भी तीखा हमला किया.

  • COVID-19 महामारी के बाद अब एक नई विश्व व्यवस्था है. हमें एक नेता के रूप में पहचाना जा रहा है. भारत को वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए. यह महत्वपूर्ण समय है और हमें इस अवसर को नहीं गंवाना चाहिए.
  • कांग्रेस पर: दुर्भाग्य से, कुछ लोगों (विपक्ष) का दिमाग अभी भी 2014 में अटका हुआ है. इतने नुकसान के बाद भी आपका अहंकार बना हुआ है और आपका पारिस्थितिकी तंत्र इसे जाने नहीं देता है. सवाल चुनाव परिणाम का नहीं है, बल्कि इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने वालों की मंशा का है. लोगों को जहां भी रास्ता मिला, उन्होंने आपको फिर से प्रवेश नहीं करने दिया. उन्हें आईना मत दिखाइए, वो इसे तोड़ देंगे. आलोचना लोकतंत्र का गहना है, लेकिन अंधविरोध लोकतंत्र का अपमान है.
  • COVID-19 पर: उन्हें लगा कि शायद यह देश कभी खुद को नहीं बचा पाएगा या इतनी बड़ी लड़ाई (Covid पर) नहीं लड़ पाएगा. कोरोना का राजनीति के लिए भी इस्तेमाल हुआ - क्या यह इंसानियत के लिए अच्छा है?
  • कोरोनावायरस के समय में कांग्रेस ने सारी हदें पार कर दीं. जब विशेषज्ञों ने सलाह दी कि आप जहां हैं वहीं रहें, कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों को अवपे गांव लौटने के लिए उकसाया किया. पहली लहर के दौरान आपने (कांग्रेस) प्रवासी श्रमिकों को मुंबई छोड़ने के लिए मुफ्त ट्रेन टिकट दिए. वहीं, दिल्ली सरकार ने भी प्रवासी कामगारों को शहर छोड़कर जाने के लिए कहा और उन्हें बसें मुहैया कराईं. नतीजा यह हुआ कि पंजाब, यूपी और उत्तराखंड में कोविड तेजी से फैल गया.
  • कोरोनावायरस एक वैश्विक महामारी है, लेकिन कुछ लोगों ने राजनीतिक लाभ के लिए इसका दुरुपयोग भी किया. कुछ लोगों ने सोचा कि कोविड मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाएगा. मुझे लगता है कि दूसरों को नीचा दिखाने के लिए आप गांधी के नाम का इस्तेमाल करते हैं. अगर मैं 'वोकल फॉर लोकल' की बात करूं तो आप इसे इग्नोर कर देते हैं. क्या आप नहीं चाहते कि भारत आत्मानिर्भर बने?
  • किसानों पर: महामारी के दौरान देश ने छोटे किसानों को मुश्किलों से बचाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया. जिन लोगों को छोटे किसानों से नफरत है, उन्हें किसानों के नाम पर राजनीति करने का कोई अधिकार नहीं है. कुछ लोग आजादी के वर्षों बाद भी गुलामी की इस मानसिकता को नहीं बदल पाए हैं. जो लोग जीवन भर महलों में रहे हैं, उन्हें छोटे किसानों की चिंता नहीं है.
  • अर्थव्यवस्था पर: आपके (विपक्ष) के लिए फाइलें महत्वपूर्ण हैं, हमारे लिए 130 करोड़ भारतीयों का जीवन महत्वपूर्ण है. कोविड के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही थी, किसानों ने रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन किया. कांग्रेस के पास ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि उद्यमी कोरोनावायरस का ही एक प्रारूप हैं. जो लोग इतिहास से सबक नहीं लेते वो इतिहास में खो जाते हैं.
  • वे संसद में यह कहने की हिम्मत करते हैं कि 'मेक इन इंडिया' नहीं हो सकता. आज भारत के युवाओं और उद्यमियों ने यह कर दिखाया है, आप (विपक्ष) मजाक बन गए हैं. मेक इन इंडिया की सफलता आपको दर्द दे रही है, मैं समझ सकता हूं. मेक इन इंडिया यानी कमीशन खत्म, भ्रष्टाचार खत्म, खजाना भरना खत्म - इसलिए यह उन्हें दर्द दे रहा है.
  • महंगाई पर: कांग्रेस सरकार के पांच साल में देश में महंगाई दहाई अंक में थी. सरकार ने माना कि महंगाई नियंत्रण से बाहर थी. साल 2011 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने बेशर्मी से कहा था कि 'अलादीन के चिराग (दीपक) से महंगाई कम होने की उम्मीद मत करो. कांग्रेस नेता महंगाई के प्रति असंवेदनशील थे. मुद्रास्फीति को कम करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य था.
  • आज मैं नेहरू जी का नाम लेता रहूंगा, मजे करिए. लाल किले से पंडित नेहरू ने कहा था- 'कई बार कोरिया में युद्ध का असर हम पर भी पड़ता है. इस वजह से, कीमतें बढ़ती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं. अगर अमेरिका में कुछ होता है, तो इसका असर कीमतों पर भी पड़ता है.' भारत के पहले पीएम ने हार मान ली थी. उस समय मुद्रास्फीति की गंभीरता की कल्पना कीजिए.
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