प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैसाखी, बिहू, पुथांडु और उड़िया नव वर्ष पर देशवासियों को बधाई दी

बैसाखी की शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘यह एक बहुत ही विशेष अवसर है, जो उम्मीद, सकारात्मकता और सौहार्द पर जोर देता है.

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नव वर्ष शुरू होता है.
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ये त्योहार पारंपरिक नववर्ष के शुभारंभ के अवसर पर मनाए जाते हैं.
हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू होता है.
ये त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाए जाते हैं.
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बैसाखी, बोहाग बिहू, पुथांडु और उड़िया नव वर्ष के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. ये त्योहार पारंपरिक नव वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर मनाए जाते हैं और हमारे देश की सामाजिक संस्कृति और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं.

बैसाखी की शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘यह एक बहुत ही विशेष अवसर है, जो उम्मीद, सकारात्मकता और सौहार्द पर जोर देता है. सभी के खुश और स्वस्थ रहने की कामना करता हूं। कामना करता हूं कि लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति हो.''

एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लोगों को बोहाग बिहू की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, ‘‘इस साल बोहाग बिहू के अवसर पर मैं असम के लोगों के साथ रहूंगा. मैं उम्मीद करता हूं कि यह पर्व हमारे समाज में सौहार्द और भाईचारे की भावना को मजबूत करे.''

प्रधानमंत्री ने पणा संक्रांति और पुथांडु के अवसर पर भी देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और उनके स्वस्थ व सुखी जीवन की कामना की.

उल्लेखनीय है कि फसल पककर तैयार होने के जश्न से जुड़े ये त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाए जाते हैं.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘उगादि' और कर्नाटक में ‘युगादी' के नाम से इस त्योहार को मनाया जाता है. महाराष्ट्र में यह त्योहार ‘गुड़ी पड़वा' और तमिलनाडु में ‘पुथांडु' के नाम से मनाया जाता है.

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केरल में हमारे मलयाली भाई-बहन इस उत्सव को ‘विशु', जबकि पंजाब में लोग इसे ‘वैशाखी' के नाम से मनाते हैं. ओडिशा में इसे ‘पणा संक्राति' के नाम से मनाया जाता है. पश्चिमी बंगाल में ‘पोइला बोइशाख' और असम में ‘बोहाग बिहू' नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है.

इस त्योहार का आयोजन अलग-अलग नामों से किया जाता है, लेकिन उल्लास, उमंग और घनिष्ठता की भावना से परिपूर्ण उत्सव का माहौल हर जगह एक समान होता है.

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नव वर्ष शुरू होता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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