लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत में जब राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के दौरान आपातकाल (President Murmu On Emergency) का मुद्दा उठाया तो विपक्ष बुरी तरह से भड़क गया. ऐसा ही कुछ मंगलवार को भी लोकसभा में हुआ था, जब स्पीकर ओम बिरला ने अपनी पहली स्पीच में इमरजेंसी पर जमकर सुनाया था. बुधवार को राष्ट्रपति ने जैसे ही आपातकाल के उस दंश का जिक्र किया, जिसे 1975 में पूरे देश ने झेला, संसद में हंगामा मच गया. हर तरफ विपक्ष के हंगामे की आवाज गूंजने लगी. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आज 27 जून है. 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल संविधान पर बड़े और सीधे हमले का काला अध्याय था. उस दौरान पूरे देश में हाहाकार मच गया था. लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने जीत हासिल करके दिखाई. क्यों कि भारत के मूल्य में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं. राष्ट्रपति के ऐसा बोलते ही पीएम मोदी ने मेज थपथपाकर उनकी इस बात का समर्थन किया.
आपातकाल का जिक्र होते ही भड़का विपक्ष
राष्ट्रपति ने कहा कि दो साल तक देश में आपातकाल लागू रहा, इस दौरान लोगों के सभी अधिकार छीन लिए गए थे. उन्होंने कहा कि हम सभी संविधान की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं. उनके इतना बोलते ही भड़के विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. विपक्ष का हंगामा मंगलवार को भी देखने को मिला था, जब स्पीकर ओम बिरला ने आपातकाल का जिक्र किया , तब भी विपक्ष ने खूब हंगामा किया था. विपक्ष इतना भड़क गया था कि मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य नेताओं ने यहां तक कह दिया कि पिछले 10 सालों का मोदी सरकार का शासन की अघोषित आपातकाल ही है.
ओम बिरला ने भी आपातकाल को कहा था काला अध्याय
बता दें कि स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने भी अपनी पहली ही स्पीच में 1975 में कांग्रेस सरकार की तरफ से लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया. उन्होंने भी इसे लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय करार दिया था. उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जमकर घेरा. आज एक बार फिर से संसद में कुछ वैसा ही नजारा राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान देखने को मिला. आपातकाल का जिक्र होते ही विपक्ष हंगामा करने लगा.
कांग्रेस को आईना दिखाने की कोशिश
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आज लोकतंत्र पर हमले किए जा रहे हैं. इसे लांछित करने वाले आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ईवीएम जनता की कसौटी पर खरा उतरने में सफल रही है. उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले तो मतदान के दौरान बैलेट पेपर ही लूट लिए जाते थे.इस तरह से राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने विपक्ष को संविधान के मुद्दे पर आईना दिखाने की कोशिश की. लेकिन विपक्ष इस दौरान हंगामा करने लगा.. दरअसल विपक्ष ने सरकार पर संविधान को बदलने का गंभीर आरोप लगाया था.
राष्ट्रपति के अभिभाषण में और भी बहुत कुछ
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में बताया कि कैसे केंद्र सरकार समाज के सभी लोगों के हितों को प्राथमिकता में रखकर काम कर रही है. अपने अभिभाषण की शुरुआत करने से पहले राष्ट्रपति ने सभी नवनिर्वाचित सांसदों को बधाई दी. इसके अलावा, उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव संपन्न कराने को लेकर निर्वाचन आयोग की भी तारीफ की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा कि इस बार घाटी में दशकों का रिकॉर्ड टूटा है. काफी संख्या में लोगों ने वहां मतदान किया.