गर्भवती महिलाएं अब ले सकेंगी कोरोना वैक्सीन, CoWIN पर रजिस्ट्रेशन से या नजदीकी केंद्र पर लगवा सकती हैं टीका

गर्भवती महिलाएं अब CoWIN पर पंजीकरण करा सकती हैं या टीका लगवाने के लिए सीधे COVID टीकाकरण केंद्र (CVC) में जा सकती हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

गर्भवती महिलाएं अब कोरोना का टीका लगवा सकती हैं. NTAGI की सिफारिशों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूर कर लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने NTAGI यानी नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है. गर्भवती महिलाएं अब CoWIN पर पंजीकरण करा सकती हैं या  टीका लगवाने के लिए सीधे COVID टीकाकरण केंद्र (CVC) में जा सकती हैं.

एक स्टडी में ये सामने आया था कि कोरोना संक्रमण से गर्भवती महलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा था और उनमें कई गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा था. भ्रूण में भी असर पड़ने के चांस थे. स्टडी में ये सामने आया कि दूसरी महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं में गम्भीर संक्रमण का खतरा है. कोविड संक्रमित गर्भवती महिलाओं में प्रीम्च्योर बर्थ का खतरा भी स्टडी में सामने आई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के किसी भी स्टेज पर वैक्सीन ले सकती हैं.

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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को साथ ही बताया कि कोरोना वैक्सीन मौत से 98 पर्सेंट तक प्रोटेक्शन देती है. केंद्र सरकार ने कहा कि पंजाब सरकार और PGI चंडीगढ़ की स्टडी में सामने आया है. पंजाब सरकार ने पीजीआई चंडीगढ़ के साथ मिलकर पंजाब पुलिसकर्मियों पर एक स्टडी की थी. हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक इस स्टडी में शामिल 4868 पुलिसकर्मी ऐसे थे, जिन्हें कोविड वैक्सीन नहीं मिली, इनमें कोविड से 15 लोगों की मौत हुई यानी 3.08 प्रति हजार. 35856 पुलिस कर्मी ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन की एक डोज मिली. इनमें 9 की डेथ हुई यानी 0.25 प्रति हजार. 42720 पुलिसकर्मियों को वैक्सीन की दोनों डोज मिली.

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स्टडी में पाया गया कि इनमें कोविड से 2 की मौत हुई यनी 0.05 प्रति हजार. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने कहा कि पुलिसकर्मी हाईरिस्क ग्रुप में हैं और उनमें की गई स्टडी ने दिखाया कि वैक्सीन की एक डोज मौत से 92 पर्सेंट तक प्रोटेक्शन देती है और दोनों डोज 98 पर्सेंट प्रोटेक्शन देती है. उन्होंने कहा कि इस तरह का डेटा कई स्टडी से सामने आया है कि वैक्सीन लगाने से गंभीर बीमारी से प्रोटेक्शन मिलता है. बीमारी हो भी तो उसके गंभीर होने के चांस बेहद कम हो जाते हैं और मौत का रिस्क बहुत कम हो जाता है.

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