कांग्रेस के स्लीपर सेल को हटाने से VBA से हुआ यह गठबंधन, सुप्रिया सुले बनेंगी केंद्रीय मंत्री- प्रकाश आंबेडकर

कांग्रेस ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में सभी 227 वार्डों पर अकेले चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन रविवार को पार्टी ने प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के साथ गठबंधन कर उसे 62 सीट दे दीं.

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वंचित बहुजन आघाड़ी प्रमुख प्रकाश आंबेडकर
मुंबई:

BMC चुनाव को लेकर मुंबई में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस और वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) ने बीते रविवार (28 दिसंबर) को गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया. वहीं गठबंधन की औपचारिक घोषणा के ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुंबई कांग्रेस प्रेसिडेंट वर्षा गायकवाड़ मौजूद नहीं रहीं, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में उनकी नाराजगी की चर्चाएं होने लगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में वर्षा गायकवाड़ का मौजूद नहीं होना साफ था कि वह इस गठबंधन से नाखुश है. क्योंकि जहां कांग्रेस पहले 227 सीट पर चुनाव लड़ने जा रही थी. लेकिन गठबंधन के बाद 62 सीट VBA को दे दी गई.

वर्षा गायकवाड़ की नाराज़गी को लेकर वंचित बहुजन आघाड़ी प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के भीतर मौजूद “स्लीपर सेल” को हटाने की वजह से ही गठबंधन संभव हो पाया. कांग्रेस ने जब “शकुनी” को बाहर किया, तभी गठबंधन बन सका. छत्रपति संभाजीनगर में भी गठबंधन होने की संभावना है.

सुप्रिया सुले बनेंगी केंद्रीय मंत्री

प्रकाश आंबेडकर ने यह भी कहा कि हर्षवर्धन सपकाल और केंद्रीय नेताओं की पहल से यह गठबंधन हुआ. आने वाले डेढ़ से दो महीनों में सुप्रिया सुले केंद्रीय मंत्री बनेंगी. यह फैसला पहले से ही तय था. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को मुंबई महानगरपालिका चुनाव में सफलता नहीं मिलेगी. आपके कार्यकाल में मराठी लोग मुंबई से बाहर चले गए. आपने जो माहौल बनाया, उसमें 3 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर रखने वाला एक भी मराठी बिल्डर दिखाइए. लेकिन बालासाहेब ठाकरे एक अलग ही “ठाकरे ब्रांड” थे.

बता दें, पहले कांग्रेस ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में सभी 227 वार्डों पर अकेले चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन रविवार को पार्टी ने प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के साथ गठबंधन कर उसे 62 सीट दे दीं.

एनसीपी (एसपी) से सीट बंटवारे पर गतिरोध

अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि एनसीपी (एसपी) 50 से 55 सीटों की ज़ोरदार मांग कर रही है, जिसे कांग्रेस स्वीकार करने के मूड में नहीं दिख रही. इसी कारण सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. इस बीच विपक्षी खेमे में असमंजस और बढ़ गया है क्योंकि एनसीपी (एसपी) समानांतर रूप से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के साथ भी गठबंधन की संभावनाएं टटोल रही है. राजनीतिक गलियारों में इसे दबाव की रणनीति और सौदेबाज़ी की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इन बातचीतों में भी टकराव साफ नजर आ रहा है.

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