उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridawar) में एक धर्म संसद (Dharma Sansad) में वक्ताओं के 'कड़वे बोल' का वीडियो वायरल हो रहा है. धर्म संसद में वक्ताओं ने कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष का आह्वान किया. पूर्व सेना प्रमुखों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों ने विवादित भाषण की तीखे शब्दों में निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की है. इस धर्म संसद में शामिल होकर विवादास्पद बयान देने वाले हिंदू रक्षा दल सेना के अध्यक्ष प्रबोधानंद गिरी (Prabodhanand Giri) ने एनडीटीवी से कहा कि धर्म संसद का उद्देश्य फैलाए जा रहे मुस्लिम जिहाद के नाम पर आतंकवाद के खिलाफ संकल्प लेना था. मैंने जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं.
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उन्होंने कहा कि धर्म संसद में लगभग 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और सात 700-800 अन्य संत थे. पूरे विश्व में मानवता की स्थापना करने के लिए और शांति की स्थापना के लिए ये बहुत आवश्यक है. जो मुस्लिम आतंकवाद फैला है इस पर लगाम लगाई जाए, इसको रोका जाए. भारत के संविधान में आप पुराना संविधान उठाएंगे तो धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं है, पंथनिरपेक्ष शब्द है. इसका मतलब होता है कि भारत का संविधान धर्म के अनुकूल होगा, अनुकूल है. लेकिन राजीव गांधी की सरकार में चालाकी से संविधान में हेरफेर की गई. तो पहले तो बहुत ये स्पष्ट हो जाना चाहिए कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष नहीं है.
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उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष का मतलब होता है कि इसका कोई धर्म नहीं हो और पंथनिरपेक्ष अनेक हो सकते हैं. संविधान हमको आत्मसुरक्षा का अधिकार देता है. संविधान सेक्युलर नहीं है, पंथनिरपेक्ष है और इसमें अंग्रेजी में सेक्युलर शब्द होता ही नहीं है. धर्म केवल सनातन धर्म है. म्यांमार के बायन पर मैं बिल्कुल अडिग और कायम हूं.
केस दर्ज करने के लिए थाने में दी गई शिकायत
तृणमूल कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस मामले में आयोजकों आौर वक्ताओं के खिलाफ खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. तीन दिवसीय इस धर्मसंसद का समापन सोमवार को हुआ था. हालांकि कार्यक्रम को खत्म हुए तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन हेट स्पीच को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बार-बार पूछे जाने पर पुलिस की ओर से कहा गया कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है क्योंकि अब तक कोई शिकायत नहीं हुई है. हरिद्वार के एसपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, 'पुलिस स्थिति पर नजर बनाए हुए है.'