काफी विलंब के बाद दशकीय जनगणना कवायद और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अद्यतन करने का काम 2025 की शुरुआत में प्रारंभ होने की संभावना है और इसके आंकड़े 2026 तक घोषित किए जाएंगे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. इस कवायद के बाद भविष्य का जनगणना चक्र पूरी तरह बदल जाएगा. हालांकि, अभी तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि सामान्य जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित जनगणना भी की जाएगी या नहीं.
सूत्रों ने कहा, ‘‘पूरी संभावना है कि जनगणना और एनपीआर का काम अगले साल की शुरुआत में शुरू हो जाएगा और जनसंख्या के आंकड़े 2026 तक घोषित किए जाएंगे. इसके साथ ही जनगणना चक्र में भी बदलाव होने की संभावना है. इसलिए, यह चक्र अब 2025-2035 और फिर 2035-2045 होगा और भविष्य में इसी तरह आगे जारी रहेगा.''
महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय ने जनगणना के दौरान नागरिकों से पूछे जाने वाले 31 प्रश्न तैयार किए थे.
- इन प्रश्नों में यह भी शामिल है कि क्या परिवार का मुखिया अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है तथा क्या परिवार के अन्य सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं, जैसा कि पिछली जनगणना में पूछा गया था.
- विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उन राजनीतिक दलों में शामिल हैं जो जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं ताकि देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कुल आबादी का पता चल सके.
- सूत्रों ने कहा कि यह देखना होगा कि क्या सरकार जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी, जो 2026 में प्रस्तावित है.
जनगणना के तहत प्रत्येक परिवार से पूछे जाने वाले 31 प्रश्नों में परिवार के व्यक्तियों की कुल संख्या, परिवार की मुखिया महिला है या नहीं, परिवार के पास कितने कमरे हैं, परिवार में रहने वाले विवाहित जोड़ों की संख्या से जुड़े सवाल भी शामिल हैं.प्रश्नों में यह भी शामिल है कि क्या परिवार के पास टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल या स्मार्टफोन, साइकिल, स्कूटर या मोटरसाइकिल है और क्या उनके पास कार, जीप या अन्य वाहन है. इसके अलावा परिवार के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े अन्य सवाल भी पूछे जाएंगे.
- सरकारी सूत्रों के मुताबिक, Census 2025 के तहत भारत की जनसँख्या के बारे में आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया अगले साल की शुरुआत में शुरू हो सकती है.
- Census हर दस साल पर कराया जाता है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से 2021 में Census 2021 नहीं हो सका.
- Census 2025 की फाइनल रिपोर्ट 2026 तक तैयार होने की उम्मीद है.
- Census 2025 से Fertility Rate, Child Mortality Rate से लेकर धार्मिक समुदायों की जनसंख्या में बदलाव से जुड़े तथ्य सामने आएंगे.
- भारत में Sex Selection, Gender Ratio में बदलाव से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलेगी.
सूत्रों के मुताबिक Registrar General और Census Commissioner ने 31 सवाल तैयार किये हैं हो हर आम नागरिकों से पूछे जायेंगे. इनमें घर में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या, क्या घर की मुखिया एक महिला है? जैसे सवालों से लेकर घर में रहने वाले विवाहित जोड़े से जुडी जनकारी भी शामिल होगी.
पूनम मुटरेजा, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ने एनडीटीवी से कहा, "General Category के Sub Sects के बारे में अगर आंकड़े इकट्ठा किए जाते हैं तो यह राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण होगा की अलग-अलग समुदाय की विकास की ज़रूरतें कितनी है, किस Sub Sect तक सरकारी सामाजिक कल्याण की योजनाएं कितनी पहुंची, उनका उथान कितना हुए ये राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण होगा"
कांग्रेस के लोक सभा सांसद मणिकम टैगोर ने इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "आम जनगणना में SC, ST समुदाय और धार्मिक समुदायों से जुड़े आंकड़े जुटाए जाते हैं. इस जनगणना में ओबीसी समुदाय की गणना के लिए एक कॉलम सेंसस फॉर्म में शामिल किया जाना चाहिए. OBC समुदाय के बारे में यह पता होना चाहिए कि उन्हें जो 27% आरक्षण मिलता है उसकी क्या स्थिति है. राहुल गांधी ने यह मांग किया था की ओबीसी का Census होना चाहिए जिससे कि समुदाय को न्याय दिलाया जा सके".
पूनम मुटरेजा ने एनडीटीवी से कहा, "लोकसभा की सीटों का परिसीमन एक संवेदनशील मुद्दा है. लोकसभा के सीटों को नए सिरे से पुनर्गठित करने के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े भी देश के सामने होंगे. अभी से ही तमिल नाडु के मुख्यमंत्री ने चिंता जताई है. जिन राज्यों ने जनसँख्या वृद्धि को रोकने में सफलता पायी है उनपर असर पड़ सकता है, ये नार्थ versus साउथ मुद्दा भी बन सकता है"
इस जनगणना से एक बड़ी तस्वीर देश के सामने होगी की सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन पिछली Census के बाद कितना कारगर तरीके से हुआ है और आने वाले 10 साल में सरकार को टारगेटेड इंटरवेंशन करने के लिए किस हद तक पहल करना होगा.