PMFBY में बड़ा बदलाव: अब जंगली जानवरों और धान जलभराव से फसल नुकसान का मिलेगा बीमा कवर, सरकार ने नई प्रक्रिया मंज़ूर की

अब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसान भाई-बहनों को बड़ी सौगात दी है. मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है.

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  • मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जंगली जानवरों से फसल नुकसान को कवर करना शुरू किया है
  • किसानों को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के अंदर जियो-टैग्ड फोटो के साथ फसल बीमा ऐप पर दर्ज करनी होगी
  • यह निर्णय खरीफ 2026 सीजन से पूरे देश में लागू होगा और स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के तहत बीमा कवरेज देगा
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नई दिल्ली:

देश में किसान दशकों से हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण फसल को होने वाले नुकसान के संकट से जूझ रहे हैं. यह समस्या मुख्य तौर पर वन क्षेत्रों, वन गलियारों और पहाड़ी इलाकों के पास खेती करने वाले किसानों को ज़्यादा झेलना पड़ता है. हाल तक जंगली जानवरों द्वारा होने वाले नुकसान को फसल बीमा योजना के दायरे में शामिल नहीं किया जाता था और प्रभावित किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी.

अब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसान भाई-बहनों को बड़ी सौगात दी है. मंत्रालय ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है.

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक नोट के मुताबिक, "संशोधित प्रावधानों के अनुसार, जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के पाँचवें ‘ऐड-ऑन कवर' के रूप में मान्यता दी गई है. राज्य सरकारें जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगी तथा ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर अत्यधिक प्रभावित जिलों/बीमा इकाइयों की पहचान करेंगी. किसान को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग्ड फोटो के साथ दर्ज करनी होगी. यह निर्णय विभिन्न राज्यों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के अनुरूप है और किसानों को अचानक, स्थानीयकृत और गंभीर फसल क्षति से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है".

ये फैसला खरीफ 2026 सीजन से पूरे देश में लागू किया जायेगा. साथ ही, तटीय इलाकों और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों को भरी बारिश और नदी-नालों में जलस्तर बढ़ने से होने वाले जलभराव के कारण भी भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा है. वर्ष 2018 में इस जोखिम को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी से हटाए जाने से किसानों के लिए एक बड़ा संरक्षण अंतर उत्पन्न हो गया था.

अब कृषि मंत्रालय ने तय किया है कि जलभराव से फसल का नुकसान झेलने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत दावा निपटान का लाभ मिलेगा. मंत्रालय ने इस फैसले का ऐलान करते हुए मंगलवार को कहा, "इन उभरती चुनौतियों को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की. समिति की रिपोर्ट को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ अब स्थानीय स्तर पर फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को PMFBY के तहत समयबद्ध और तकनीक-आधारित दावा निपटान का लाभ मिलेगा".

कृषि मंत्रालय के मुताबिक, जंगली जानवरों से फसल को होने वाले नुकसान से भरपाई के फैसले से सबसे ज़्यादा फायदा ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के किसानों को होगा, जहाँ जंगली जानवरों द्वारा फसल क्षति एक बड़ी चुनौती है.

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धान जलभराव की वजह से नुकसान झेलने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत दावा निपटान का लाभ देने के फैसले से सबसे ज़्यादा फायदा तटीय और बाढ़ संभावित राज्यों जैसे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक,महाराष्ट्र और उत्तराखंड  के किसानों को मिलेगा, जो हर साल इस संकट से जूझते हैं.

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