कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को 'आंदोलनजीवी' शब्द को तारीफ की तरह स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें 'आंदोलनजीवी होने पर गर्व है.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में अपने संबोधन में इस शब्द का इस्तेमाल करते हुए तंज कसा था कि देश में ऐसी जमात पैदा हो गई है, जो आंदोलनों के सहारे जीती है. आंदोलन शुरू करने के तरीके ढूंढती है. उनका बयान किसान आंदोलन के संदर्भ में आया था.
पीएम ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा था कि 'आंदोलनजीवियों की एक नई फसल पैदा हो गई है. ये नए आंदोलन शुरू करने के मौके ढूंढते हैं. देश को इन आंदोलनजीवियों से सावधान रहने की जरूरत है.'
पीएम की ओर से इस टर्म का इस्तेमाल किए जाने के लगभग तुरंत बाद, इसे लोकप्रियता मिल गई. सोशल मीडिया के साथ ही संसद में भी सांसदों ने इस टर्म को खूब उछाला है. विपक्षी नेताओं ने इस टर्म को सम्मान के साथ स्वीकार किया है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई और तंज कसते हुए कहा वो यह मुद्दा इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि वो एक 'आंदोलनजीवी' हैं.
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पी चिदंबरम ने बुधवार को #iamanandolanjeevi हैशटैग के साथ एक ट्वीट कर कहा कि 'मुझे आंदोलनजीवी होने पर फख़्र है. महात्मा गांधी एक आंदोलनजीवी होने का सटीक उदाहरण हैं.'
दूसरे कई लोगों- नेताओं, लेखकों और आम जनता ने भी विरोध में इस टर्म को स्वीकार किया है. कांग्रेस के सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी ने अपने ट्विटर प्रोफाइल का नाम बदलकर 'गौरव पांधी- आंदोलनजीवी' रख लिया है. वहीं कवियित्री मीना कांडासामी ने भी अपने प्रोफाइल का नाम 'आंदोलनजीवी डॉक्टर मीना कांडासामी' रख लिया है.
इस टर्म का बहुतों ने स्वागत किया है. त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व गवर्नर तथागत रॉय ने इस टर्म को 'ब्रिलियंट' करार दिया है, वहीं बीजेपी नेता पीसी मोहन ने इसे 'वर्ड ऑफ द ईयर' बताया है.