98 के हुए एलके आडवाणी, पीएम मोदी ने दी सुबह-सुबह जन्मदिन की बधाई, जानिए 1927 से अब तक का उनका सफर

1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके, क्योंकि आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा.

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  • पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बधाई दी.
  • आडवाणी बीजेपी के तीन बार अध्यक्ष पद पर रहे और पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया.
  • उनका जन्म 1927 में सिंध प्रांत के कराची में हुआ था, और उन्होंने आरएसएस से जुड़कर देशभक्ति की प्रेरणा ली.
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पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani) 98 साल के हो गए. बीजेपी के दिग्गज नेता के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह-सुबह ट्वीट कर बधाई दी है. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, "लालकृष्ण आडवाणी जी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं. एक महान दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता से संपन्न राजनेता, आडवाणी जी का जीवन भारत की प्रगति को सुदृढ़ करने के लिए समर्पित रहा है. उन्होंने सदैव निस्वार्थ कर्तव्य और दृढ़ सिद्धांतों की भावना को अपनाया है. उनके योगदान ने भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करे."

तीन बार बीजेपी अध्यक्ष बने

1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद अब तक लालकृष्ण आडवाणी सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं. एलके आडवाणी बतौर सांसद 3 दशक की लंबी पारी खेलने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गृह मंत्री और बाद में उप-प्रधानमंत्री रहे. आडवाणी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष 1986-1990, 1993-1998 और 2004-2005 के तौर पर काम किया. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को सिंध प्रान्त (पाकिस्तान) में हुआ था. वह कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़े हैं और उनके देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वह जब महज 14 साल के थे, उस समय से उन्होंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया.

सिंध से दिल्ली का सफर

1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके, क्योंकि आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा. हालांकि, उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प ले लिया. इस विचार के साथ वह राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे. 1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए अपना पूरा समय दिया और इसका परिणाम तब सामने आया, जब 1984 में महज 2 सीटें हासिल करने वाली पार्टी को लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिली, जो उस समय के लिहाज से काफी बेहतर प्रदर्शन था. पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई. आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी.

एलके आडवाणी का सफर

  • 1936-1942– कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ाई, 10वीं तक रह क्लास में किया टॉप
  • 1942– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए
  • 1942– भारत छोडो आंदोलन के दौरान गिडूमल नेशनल कॉलेज में दाखिला
  • 1944– कराची के मॉडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी
  • 12 सितंबर, 1947– बंटवारे के बाद सिंध से दिल्ली के लिए रवाना
  • 1947-1951– अलवर, भरतपुर, कोटा, बुंडी और झालावार में आरएसएस को संगठित किया
  • 1957-अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए दिल्ली शिफ्ट हुए
  • 1958-63– दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव का पदभार संभाला
  • 1960-1967– ऑर्गनाइजर में शामिल, यह जनसंघ द्वारा प्रकाशित एक मुखपत्र है
  • फरबरी 25, 1965– कमला आडवाणी से विवाह, प्रतिभा एवं जयंत-दो संतानें
  • अप्रैल 1970– राज्यसभा में प्रवेश
  • दिसंबर 1972– भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए
  • 26 जून, 1975– बैंगलोर में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार, भारतीय जनसंघ के अन्य सदस्यों के साथ जेल में कैद
  • मार्च 1977 से जुलाई 1979– सूचना एवं प्रसारण मंत्री
  • 1980-86– भारतीय जनता पार्टी के महासचिव बनाए गए
  • मई 1986– भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान
  • 3 मार्च 1988– दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने
  • 1988– सरकार में बने गृह मंत्री
  • 1990– सोमनाथ से अयोध्या, राम मंदिर रथ यात्रा का शुभारंभ
  • 1997- भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मनाते हुए स्वर्ण जयंती रथ यात्रा का उत्सव
  • अक्टूबर 1999 – मई 2004 - केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, गृह मंत्रालय
  • जून 2002 – मई 2004 - उप-प्रधानमंत्री
  • 2004-2005 में फिर बीजेपी अध्यक्ष बने
  • 2009 में एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने 

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