महारानी एलिजाबेथ से लेकर विंस्टन चर्चिल तक... जिस ब्लेयर हाउस में रुके हैं पीएम मोदी, उसका रोचक है इतिहास

ब्लेयर हाउस चार टाउनहाउस को जोड़कर बनाया गया है, जो बाहर से अलग-अलग दिखते हैं लेकिन अंदर से एकदम शानदार तरीके से जुड़े हुए हैं. इसका कुल क्षेत्रफल 60,600 स्क्वायर फीट है, यानी एक छोटे महल जितना बड़ा, यहां 120 से ज्यादा कमरे हैं. जिनमें 14 गेस्ट रूम शामिल हैं.

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ब्लेयर हाउस

अमेरिका के व्हाइट हाउस के ठीक सामने एक आलीशान इमारत है, जहां सिर्फ चुनिंदा मेहमानों को रुकने का मौका मिलता है... और अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी ऐतिहासिक गेस्ट हाउस में ठहरने वाले हैं! ये वही जगह है जहां कभी ब्रिटेन की महारानी, जापान के सम्राट और फ्रांस के राष्ट्रपति जैसे बड़े नाम ठहरे हैं. और जहां एक अमेरिकी राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला हुआ था. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये ब्लेयर हाउस है क्या? इसमें ऐसा क्या खास है कि दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष यहीं ठहरते हैं? और भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से ये स्टे कितना अहम होने वाला है? तो चलिए, इस ख़ास रिपोर्ट में आपको बताते हैं इस ऐतिहासिक इमारत की पूरी कहानी, इसके अंदर की लग्जरी, और वो दिलचस्प किस्से जो इसे और भी ख़ास बना देते हैं.

ब्लेयर हाउस, ये नाम जितना सिंपल लगता है, इसकी अहमियत उतनी ही जबरदस्त है. इसे अमेरिकी राष्ट्रपति का गेस्ट हाउस भी कहा जाता है, जहां सिर्फ वही लोग रुकते हैं जिन्हें खुद अमेरिकी राष्ट्रपति आमंत्रित करते हैं. वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के ठीक सामने स्थित ये इमारत दिखने में जितनी साधारण लगती है, अंदर से उतनी ही शानदार और राजसी है.

ब्लेयर हाउस की हिस्ट्री

अब सवाल ये उठता है कि ब्लेयर हाउस बना कैसे? तो इसकी कहानी 1824 में शुरू होती है, जब इसे एक साधारण घर के तौर पर बनाया गया था. लेकिन इसका असली महत्व बढ़ा जब फ्रांसिस प्रेस्टन ब्लेयर नाम के एक पावरफुल पत्रकार और राजनीतिक सलाहकार ने इसे 1837 में खरीदा. ब्लेयर उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन के करीबी माने जाते थे और उनकी बातों का वॉशिंगटन की राजनीति में काफी असर था. उन्होंने इसे अपने घर के तौर पर इस्तेमाल किया, और यहीं से ये "ब्लेयर हाउस" के नाम से मशहूर हो गया. धीरे-धीरे, ये घर राजनीति का केंद्र बन गया. अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से लेकर कई बड़े नेता यहां ब्लेयर फैमिली से सलाह लेने आया करते थे. 1942 में जब अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुआ, तब राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट ने इसे आधिकारिक गेस्ट हाउस में बदलने का फैसला किया.

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अब आप सोच रहे होंगे कि जब व्हाइट हाउस इतना बड़ा है, तो विदेशी मेहमानों को वहां क्यों नहीं ठहराया जाता? तो इसके पीछे की कहानी भी बड़ी मजेदार है. कहानी ये है कि पहले विदेशी नेता व्हाइट हाउस में ही ठहरते थे. लेकिन जब ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल रात के 3 बजे सिगार पीते-पीते घूमते हुए फ्रैंकलिन रूजवेल्ट के बेडरूम तक पहुंच गए, तब फर्स्ट लेडी एलेनॉर रूजवेल्ट ने ठान लिया कि अब अलग से गेस्ट हाउस बनाना पड़ेगा और 1942 में फ्रैंकलिन डी. रीज़वेल्ट ने ब्लेयर हाउस को खरीदकर इसे आधिकारिक ‘प्रेसिडेंट्स गेस्ट हाउस' बना दिया. वैसे भी उस वक्त व्हाइट हाउस में ठहरने की जगह सीमित थी, और विदेशी नेताओं को होटल में ठहराना अमेरिका की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं था. तब से ये अमेरिकी कूटनीति का अहम हिस्सा बन गया.

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 ब्लेयर हाउस की बनावट और सुविधाएं

अगर आप सोच रहे हैं कि ये बस एक घर है, तो आप गलतफहमी में हैं. ब्लेयर हाउस चार टाउनहाउस को जोड़कर बनाया गया है, जो बाहर से अलग-अलग दिखते हैं लेकिन अंदर से एकदम शानदार तरीके से जुड़े हुए हैं. इसका कुल क्षेत्रफल 60,600 स्क्वायर फीट है, यानी एक छोटे महल जितना बड़ा, यहां 120 से ज्यादा कमरे हैं. जिनमें 14 गेस्ट रूम शामिल हैं. हर एक में शानदार बाथरूम मौजूद है. 3 बड़े डाइनिंग हॉल हैं, जहां भव्य दावतें होती हैं. 2 विशाल कॉन्फ्रेंस रूम हैं, जहां बड़े-बड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते होते हैं. यहां तक कि एक प्राइवेट ब्यूटी सैलून भी है, ताकि मेहमान हमेशा बेस्ट लुक में रहें. एक वेलनेस सेंटर और जिम भी है, जहां ठहरने वाले वीआईपी अपनी फिटनेस बनाए रख सकते हैं और हां, अंदर एक प्राइवेट गार्डन भी है, जहां मेहमान शांति से सैर कर सकते हैं. यानी, ये किसी 7-स्टार होटल से कम नहीं.

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ब्लेयर हाउस में कौन-कौन ठहरा है?

अब बात करते हैं उन दिग्गज मेहमानों की, जिन्हें इस ऐतिहासिक गेस्ट हाउस में ठहरने का मौका मिला.

  • विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री)
  • चार्ल्स डी गॉल (फ्रांस के राष्ट्रपति)
  • महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय (ब्रिटेन की महारानी)
  • टॉनी ब्लेयर (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, जिन्होंने मजाक में कहा था कि उन्हें यहां रहकर घर जैसा महसूस हुआ)
  • विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, जो रात 3 बजे तक राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट से बातचीत करते रहते थे)
  • और अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो यहां रुकने वाले सबसे नए मेहमान होंगे.



ब्लेयर हाउस के दिलचस्प किस्से

इस आलीशान गेस्ट हाउस में कई दिलचस्प घटनाएं भी हुई हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन पर 1950 में यहां जानलेवा हमला हुआ था. दो हमलावरों ने इस घर पर हमला करने की कोशिश की थी, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी शहीद हो गया था. 1995 में रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन नशे में धुत होकर सिर्फ अंडरवियर में बाहर निकल आए थे और टैक्सी लेने की कोशिश कर रहे थे. बाद में सिक्योरिटी ने उन्हें संभाला. अमेरिका में कई लोग कहते हैं कि ब्लेयर हाउस की सिक्योरिटी व्हाइट हाउस जितनी ही मजबूत है, क्योंकि यहां ठहरने वाले राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है. अब सवाल ये उठता है कि पीएम मोदी का यहां ठहरना क्यों खास है?

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जब किसी विदेशी नेता को ब्लेयर हाउस में ठहरने का न्योता मिलता है, तो ये सिर्फ सम्मान की बात नहीं होती, बल्कि इसका स्ट्रैटेजिक महत्व भी होता है. भारत और अमेरिका के बीच व्यापार, डिफेंस, टेक्नोलॉजी और इमिग्रेशन जैसे कई बड़े मुद्दे हैं, जिन पर इस दौरे में चर्चा होगी और ऐसे में ब्लेयर हाउस में ठहरने का मतलब है कि अमेरिका इस दौरे को बेहद गंभीरता से ले रहा है. एक ऐसी जगह जो अमेरिकी कूटनीति का गढ़ है, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर नेता ठहर चुके हैं, और जहां अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ठहरेंगे. इस दौरे के कई बड़े फैसले यहीं लिए जा सकते हैं, जो भारत और अमेरिका के रिश्तों पर सीधा असर डालेंगे. अब देखना ये होगा कि इस दौरे से क्या निकलकर आता है.

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